अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओर से आयोजित पीजी की प्रवेश परीक्षा में नकल कराने के मामले में पकड़े गए गिरोह का सरगना अजीत सिंह पेशे से भले शिक्षक हो, मगर काम नकल माफिया का करता था। जींद (हरियाणा) के एक जूनियर हाईस्कूल में हेड मास्टर अजीत पहले भी कई परीक्षाओं में अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर नकल करा चुका है। पुलिस अजीत और उसके साथियों की कुंडली खंगालने में जुट गई है।ऋषिकेश में नकल गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ गिरफ्तार किए गए अजीत से जब पूछताछ की गई तो पुलिस भी हैरान रह गई। पता चला कि जिस शिक्षक पर बच्चों का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी थी, वह नकल माफिया है। जींद (हरियाणा) निवासी 44 वर्षीय अजीत लंबे समय से नकल गिरोह चला रहा था।
पुलिस के अनुसार, वह हरियाणा की विभिन्न परीक्षाओं में अभ्यर्थियों को नकल से पास करा चुका है। पुलिस का कहना है कि आरोपित ने पूछताछ में यह भी बताया कि उसने नीट समेत राष्ट्रीय स्तर की कई परीक्षाओं में नकल कराई है। बावजूद इसके वह कभी पकड़ा नहीं गया।अजीत ने पुलिस को यह भी बताया कि पेपर लीक कराने के बाद उसे हल करने के लिए विशेषज्ञों को हायर करता था। एम्स की पीजी प्रवेश परीक्षा का पेपर हल करने के लिए भी उसने दो चिकित्सकों को हायर किया था। साथ ही विभिन्न कोचिंग इंस्टीट्यूट में परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के संपर्क में रहता था और नकल कराने के लिए उनसे मोटी रकम लेता था।
पुलिस के अनुसार, कांगड़ा के जिस परीक्षा केंद्र (हिमाचल इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी) में अजीत तीन छात्रों को नकल करा रहा था, वह उसने अन्य साथियों के साथ लीज पर लिया हुआ है। इसके अलावा वह और उसके साथी शिक्षण संस्थानों में कंप्यूटर लैब स्थापित करते थे।हिमाचल इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी में भी उसी ने कंप्यूटर लैब स्थापित की थी और उसी की मदद से नकल करा रहा था। दो अन्य संस्थानों में भी उसकी कंप्यूटर लैब है। इनके माध्यम से भी वह पूर्व में आनलाइन परीक्षाओं में नकल करा चुका है।
नकल गिरोह में एम्स ऋषिकेश के दो चिकित्सक वैभव और अमन भी शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपित वैभव एम्स में जेआर है और एम्स की इमरजेंसी में इंटर्नशिप कर रहा है। जबकि, अमन को अभी इंटर्नशिप नहीं मिल पाई है। वैभव, मुख्य आरोपित अजीत के एक दोस्त की मौसी का बेटा है।अजीत ने उसे पेपर हल करने के लिए हायर किया था। साथ ही एक अन्य डाक्टर को भी साथ लाने के लिए कहा था, जो पेपर हल करने में मदद कर सके। इस पर वैभव अपने जूनियर अमन को साथ लाया। दोनों को इसके लिए दो-दो लाख रुपये मिलने थे।
कांगड़ा स्थित परीक्षा केंद्र में जिन तीन अभ्यर्थियों को नकल कराई जा रही थी, उन्हें इसके लिए तीन मोबाइल फोन उपलब्ध कराए गए थे। इन्हीं मोबाइल से अभ्यर्थी प्रश्न पत्रों की फोटो खींचकर टेलीग्राम एप के माध्यम से नकल माफिया को उपलब्ध करा रहे थे। उत्तर भी टेलीग्राम पर बनाए गए ग्रुप के माध्यम से उपलब्ध कराया जा रहा था। ऐसे में पुलिस परीक्षा केंद्र पर तैनात लोगों की गिरोह से मिलीभगत की जांच में भी जुटी है।