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उत्तराखंड का नजूल विधेयक फिर राष्ट्रपति भवन में अटक गया है। मार्च में विधेयक उत्तराखंड विधानसभा से पारित होने के बाद अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति भवन भेजा गया था। जहां से अब तक विधेयक को हरी झंडी नहीं मिल पाई है।
नजूल भूमि पर बसे परिवारों को मालिकाना हक देने के लिए, उत्तराखंड सरकार ने गैरसैंण में आयोजित बजट सत्र के दौरान उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक पारित किया था। इसके बाद राष्ट्रपति भवन में भेजा गया थ।
चूंकि नजूल भूमि केंद्र सरकार के अधीन भी आती है तो राजभवन ने विधेयक को अपने स्तर से मंजूरी देने के बजाय इसे राष्ट्रपति भवन के जरिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया। तब से करीब आठ महीने का समय बीतने के बावजूद विधेयक वापस नहीं लौट पाया है।
इस कारण नजूल भूमि पर बसे हजारों परिवारों का इंतजार बढ़ गया है। इससे पूर्व सरकार ने गत विधानसभा चुनाव से पहले भी विधेयक को विधानसभा पारित कर कानून बनाने का प्रयास किया था, लेकिन तब केंद्र सरकार ने विधेयक को कुछ आपत्तियों के साथ वापस लौटा दिया था।
इन आपत्तियों को दूर करते हुए अब नए सिरे से विधेयक केंद्र सरकार के पास भेजा गया है। फिलहाल नजूल आवंटन नजूल नीति के आधार पर किया जा रहा है, लेकिन इस नीति की समय सीमा भी आगामी 11 दिसंबर को समाप्त हो रही है।