श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय में दोबारा पीजी पर रोक, नियम लागू करने वाला राज्य व देश का पहला विवि

बीएड कॉलेजों में बिना संबद्धता पत्र दाखिले पर रोक के निर्देशों पर चल रहे विवाद के बीच श्रीदेव सुमन विवि का एक और कारनामा सामने आया है। विवि ने इस साल से उन छात्रों के दोबारा पीजी दाखिले पर रोक लगा दी है, जो पूर्व में विवि से पीजी कोर्स कर चुके हैं।

ऐसा करने वाले राज्य व देश के पहले श्रीदेव सुमन विवि का इसके पीछे तर्क है कि कई छात्र चुनाव लड़ने के लिए दोबारा पीजी में दाखिला ले रहे हैं। श्रीदेव सुमन विवि ने एमए, एमएससी, एमकॉम प्रथम सेमेस्टर में दाखिले के लिए प्रवेश नियम 2023 जारी किए हैं।

इसके बिंदु संख्या 1.15 (क) के मुताबिक, श्रीदेव सुमन विवि के नामांकित छात्र के रूप में विवि में अध्ययनरत होने के बाद एक विषय से पीजी परीक्षा उत्तीर्ण छात्र को किसी भी दशा में अन्य विषय में एमए, एमएससी, एमकॉम में प्रवेश अनुमन्य नहीं होगा। विवि ने इसी साल ये नियम लागू किया है।

ये नियम होगा लागू
नई शिक्षा नीति में जहां सरकार सभी छात्रों को मुख्य विषयों के साथ ही पसंद के विषय चुनने, पढ़ाई के दौरान गैप होने पर दोबारा एकेडमिक क्रेडिट बैंक की मदद से कोर्स करने की आजादी दी गई है तो श्रीदेव सुमन विवि ने इसके उलट एक बार पीजी करने पर दूसरे पीजी पर रोक लगा दी है।मसलन, अगर कोई छात्र एमए हिंदी में करता है और वह कोर्स पूरा करने के बाद एमए हिस्ट्री या एमए पॉलिटिकल साइंस में करना चाहता है तो उसे श्रीदेव सुमन विवि में दाखिला नहीं मिलेगा। इसके लिए उसे किसी अन्य विवि में जाना होगा।
देश के किसी विवि में ऐसा नियम नहीं

अहम बात यह है कि गढ़वाल केंद्रीय विवि सहित राज्य व देश के किसी भी विवि में ऐसा नियम लागू नहीं है जो कि एक छात्र को एक विवि से दोबारा दूसरे विषय से पीजी करने से रोकता हो।

छात्र राजनीति की वजह से लिया गया फैसला

विवि के कुलसचिव केआर भट्ट का कहना है कि कई छात्र एक बार पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रसंघ चुनाव के लिए दोबारा पीजी में दाखिला ले लेते हैं। ऐसे छात्रों को रोकने के लिए ही ये निर्णय लिया गया है। हालांकि, इसकी पहचान कैसे होगी, वह यह स्पष्ट नहीं कर पाए। उनका कहना है कि विवि की प्रवेश समिति ने ये नियम बनाए हैं।

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