उत्तराखंड में नजूल नीति के लिए समय सीमा बढ़ाई, कानून बनने तक पुरानी नीति से ही आवंटन

उत्तराखंड में पुष्कर सिंंह धामी कैबिनेट ने नजूल नीति 2021 को फिर से लागू कर दिया है। इसके साथ ही कैबिनेट ने कैंट बोर्डों के नागरिक क्षेत्रों को स्थानीय निकायों के हवाले करने, हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में हाईकोर्ट की शिफ्टिंग को देखते हुए, वहां एक साल तक नए निर्माण पर रोक लगाने समेत कई अहम निर्णय लिए।

मुख्यमंत्री धामी की अध्यक्षता में गुरुवार को सचिवालय में हुई कैबिनेट बैठक में नजूल नीति-2021 को पुन: लागू करने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई गई। बैठक के बाद मुख्य सचिव डॉ.एस.एस. संधु ने कैबिनेट द्वारा लिए निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नजूल भूमि पर बसे परिवारों को मालिकाना हक देने के लिए सरकार ने गैरसैंण में हुए बजट सत्र में उत्तराखंड नजूल भूमि प्रबंधन, व्यवस्थापन एवं निस्तारण विधेयक पास किया था। उक्त विधेयक राजभवन द्वारा मंजूरी को राष्ट्रपति भवन के जरिए गृह मंत्रालय भेजा गया था। इसे अब तक मंजूरी नहीं मिली है।

इस बीच, गत 11 दिसंबर को नजूल नीति-2021 की समयसीमा भी खत्म हो चुकी है। ऐसे में सरकार ने नजूल आवंटन, नियमितीकरण जैसे कार्य जारी रखने को विधिवत कानून बनने तक पूर्व में लागू नीति को बहाल करने का निर्णय लिया है। वर्ष 2021 में लागू नजूल नीति में सरकारी विभागों को नजूल भूमि देने पर सर्किल रेट का 35 प्रतिशत भुगतान करने की शर्त रखी गई थी, लेकिन विभागों की आपत्ति के बाद इस दर को 2005 की नीति के समान पांच प्रतिशत कर दिया गया है।

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