पेयजल निगम में एक बार फिर व्यवस्थाएं पटरी से उतर गई हैं। कार्मिकों को दो माह से वेतन नहीं मिला है और सेवानिवृत्त कर्मचारी भी पेंशन को तरस रहे हैं। दिसंबर के बाद से वेतन-पेंशन की फाइलें शासन और फिर कोषागार में धूल फांक रही हैं। जबकि, पेयजल निगम वर्तमान में हजारों करोड़ के कार्य संपादित कर अच्छा-खासा सेंटेज प्राप्त कर रहा है।
बीते दिसंबर तक पेयजल निगम में समय पर पेंशन-वेतन का भुगतान हो रहा था। अगस्त 2023 में पहली बार निगम के कार्मिकों को समय से पहले ही वेतन-पेंशन जारी कर दिया गया था। लेकिन, अब कार्मिक दिसंबर और जनवरी के वतन का इंतजार कर रहे हैं। जबकि, फरवरी भी आधा बीत चुका है। इस संबंध में कार्मिकों ने रोष जताते हुए निगम प्रबंधन को पत्र लिख शीघ्र वेतन और पेंशन के भुगतान की मांग की है।
कर्मचारियों का कहना है कि ढाई माह से वेतन न मिलने के कारण उन्हें रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए भी उधार करना पड़ रहा है। जिससे उनके सामाजिक सम्मान को ठेस पहुंच रही है। यह आलम तब है जबकि पेयजल निगम के पास राज्य और केंद्र की कई महत्वकांक्षी योजनाएं हैं।
करोड़ों की योजनाओं को पूरा करने में जुटे पेयजल निगम के पास वर्तमान में फंड का कोई संकट नहीं है, लेकिन इसके लिए कर्मचारी शासन की व्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। दो-दो माह तक शासन और कोषागार में वेतन-पेंशन की फाइल अटकने पर कर्मचारियों ने सवाल खड़े किए हैं।
वेतन न मिलने से नाराज कर्मचारी जीपीएफ निकालने को मजबूर हैं। सरकार कर्मचारियों के सब्र का इम्तिहान न ले। उधर, सेवानिवृत्त पेंशनरों ने भी कड़ी नाराजगी जताते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। डिप्लोमा इंजीनियर संघ के अध्यक्ष रामकुमार ने कहा कि पेयजल निगम में नियमित रूप से वेतन भुगतान नहीं हो रहा।
शासन स्तर पर सेंटेज की फाइलों के डंप होने का सिलसिला जारी है। तय समझौते का पालन नहीं हो रहा। जिससे कर्मचारी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। शीघ्र वेतन जारी नहीं किया गया तो आंदोलन पर विचार किया जाएगा।