जमरानी बांध के डूब क्षेत्र से जुड़े ए श्रेणी के ग्रामीणों को किच्छा के प्राग फार्म में विस्थापित किया जाना है। यहां राजस्व की करीब 300 एकड़ भूमि सिंचाई विभाग के नाम हो चुकी है। भविष्य में ग्रामीणों के नाम इसकी रजिस्ट्री होगी, मगर उससे पहले मास्टर प्लान बनना था।
इस प्लान के हिसाब से ही ग्रामीणों को सभी सुविधाएं मिलनी थीं, लेकिन दो टेंडर के बावजूद कंपनी का चयन नहीं हो सका। अब तीसरी बार टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। 22 मार्च को टेंडर खुलेगा। जमरानी बांध का मामला 1975 से चल रहा है। 2022 में प्रोजेक्ट को पीएम कृषि सिंचाई योजना में शामिल किया गया। इसके बाद केंद्रीय और राज्य कैबिनेट ने भी बांध प्रोजेक्ट पर मुहर लगा दी।
सबसे अहम मामला ग्रामीणों के विस्थापन और मुआवजे का था। सर्वे के बाद 1268 लोगों को तीन श्रेणी में बांटा गया। ए श्रेणी के परिवारों को किच्छा के प्राग फार्म में विस्थापित किया जाना है, लेकिन इससे पूर्व ग्रामीणों की सुविधाओं का मास्टर प्लान भी तैयार करना होगा। इसके लिए जमरानी परियोजना के अधिकारियों ने योजना बनाई थी कि चीफ टाउन प्लानर के माध्यम से कोई कंसलटिंग कंपनी ही यह काम करेगी, मगर दो टेंडर के बावजूद कंपनी का चयन नहीं हो सका। इसलिए तीसरी बार टेंडर आमंत्रित किया गया है।
जमरानी परियोजना के प्रबंधक हिमांशु पंत ने बताया कि छह मार्च को हुए टेंडर में एक ही कंपनी ने आवेदन किया था। जिस वजह से आवेदन निरस्त करना पड़ा था। अब 22 मार्च को दोबारा टेंडर खुलेगा।
इन सुविधाओं का पूरा डिजाइन होगा तैयार
ग्रामीणों को प्राग फार्म के गडरियाबाग में सड़क, बिजली, पानी, स्ट्रीट लाइट, सामुदायिक भवन, स्वास्थ्य केंद्र, पशु अस्पताल, पार्क, स्कूल आदि की सुविधाएं दी जानी है। टेंडर के बाद कंपनी डिजाइन तैयार करने के साथ हर निर्माण की लागत भी बताएगी।