चुनाव में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम व वीवी पैट पर जीपीएस से नजर रखी जाएगी। जिन वाहनों में इन मशीनों को रखा होगा, उनमें जीपीएस लगाया जाएगा। ईवीएम के उपयोग संबंधी जितने भी कार्य होंगे, उनमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को बुलाया जाएगा। ईवीएम को मतदान केंद्रों में भेजने से पहले भी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में इन्हें सील किया जाएगा।
चुनावों में ईवीएम मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रदेश में लोकसभा चुनाव के लिए तकरीबन 25 हजार ईवीएम और 20 हजार से अधिक वीवी पैट मशीनें हैं। वीवी पैट मशीन पर मतदाता यह देख सकता है कि जो वोट उसने डाला है, वह किसे गया है। अमूमन चुनाव में हार के बाद प्रत्याशी ईवीएम मशीनों पर सवाल उठाते हैं। इसे देखते हुए मुख्य राज्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय लगातार ईवीएम के इस्तेमाल में पूरी पारदर्शिता बरतने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
सुनिश्चित की जाएगी ईवीएम और वीवीपैट की आवाजाही की निगरानी
भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के क्रम में जीपीएस लगे वाहन अथवा मोबाइल ऐप आधारित जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम के माध्यम से ईवीएम और वीवीपैट की आवाजाही की निगरानी सुनिश्चित की जाएगी। इसके लिए वेब पोर्टल अथवा मोबाइल ऐप के माध्यम से ईवीएम और वीवीपैट की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय और जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में ईवीएम नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाएगा। यहां से ईवीएम वाले वाहनों पर लगातार नजर रखी जाएगी और इसकी रिकार्डिंग भी होगी, जिससे यह पता चल सकेगा कि वाहन किस रास्ते से कहां तक गए हैं।
इतना ही नहीं, जितनी बार भी ईवीएम का किसी कार्य के लिए इस्तेमाल होगा, उतनी बार राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों या प्रत्याशियों को बुलाया जाएगा। चाहे मशीनों के जरिये डेमो देना हो अथवा मशीनों की सीलिंग करनी हो, इन सब गतिविधियों के दौरान राजनीतिक दलों को बाकायदा पत्र भेजकर आमंत्रित किया जाएगा।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रताप शाह ने बताया कि ईवीएम लाने व ले जाने वाले वाहनों की जीपीएस ट्रेकिंग की जाएगी। जितनी बार भी मशीनों का किसी कार्य के लिए इस्तेमाल होगा, उतनी बार राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों व प्रत्याशियों को आमंत्रित किया जाएगा।