सत्तापक्ष पर आक्रामक कांग्रेस को भी है कवच की तलाश, मुद्दों की लंबी-चौड़ी सूची तैयार

लोकसभा चुनाव के अवसर पर उत्तराखंड में महंगाई हो या बेरोजगारी या कानून व्यवस्था समेत स्थानीय मुद्दे, कांग्रेस इन्हें लेकर केंद्र और प्रदेश की सरकारों और सत्तारूढ़ भाजपा पर आक्रामक है। सत्तापक्ष को घेरने के लिए मुद्दों की लंबी-चौड़ी सूची तैयार की गई है।

कांग्रेस के बड़े नेताओं से लेकर आम कार्यकर्ताओं में भाजपा को निशाने पर लेने की होड़ मची है। इसके बावजूद मुद्दों की एक ऐसी पोटली भी है, जिसने कांग्रेस को हमलावर होने के स्थान पर बचाव की मुद्रा में ला दिया है। इसके उलट भाजपा अपनी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी को इन मुद्दों के बहाने घेरने का अवसर हाथ से जाने नहीं दे रही है।

समान नागरिक संहिता, मतांतरण रोकने, दंगा अथवा उपद्रव करने पर दंगाइयों से वसूली जैसे संवेदनशील विषयों को कड़े कानूनों का रूप देकर भाजपा सरकार जनता की अदालत में कांग्रेस को घेरने की तैयारी में है तो कांग्रेस भी बचाव में मजबूत कवच ढूंढ रही है।

पार्टी का वार रूम भी इसे ध्यान में रखकर सावधानी के साथ रणनीति बनाने में जुटा है। लोकसभा के चुनावी संग्राम में अब शीघ्र जन सभाओं, रैलियों, नुक्कड़ सभाओं, जन संपर्क के माध्यम से प्रतिद्वंद्वियों पर हमला बोलने का दौर तेज होने को है। कांग्रेस ने इसे लेकर पूरी मेहनत की है।

पार्टी का वार रूम भी प्रदेश स्तर से लेकर लोकसभा क्षेत्रों, जिलों, विधानसभा क्षेत्राें के साथ ही ब्लाकों और बूथों तक भाजपा को मात देने के लिए मुद्दों को नई धार दे रहा है। राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों को तो प्रमुखता से उठाया जा ही रहा है, साथ में प्रदेश और स्थानीय स्तर पर भी जनता की समस्याओं और उनसे जुड़े मुद्दों को लेकर हमलावर कांग्रेस संगठन को दो मोर्चों पर जूझने की नौबत है। उसे आक्रमण के साथ ही बचाव के लिए भी मजबूत ढाल की आवश्यकता पड़ रही है।

समान नागरिक संहिता का दांव विधानसभा चुनाव में भी चला

लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भाजपा ने कई ऐसे विषयों पर विशेष तैयारी की है, जिन्हें कांग्रेस ने संवेदनशील मानकर कदम पीछे खींचे रखे। समान नागरिक संहिता का मामला ऐसा ही है। भाजपा ने वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले इसे चुनावी घोषणा बनाया और लोकसभा चुनाव से पहले इसे कानून का रूप देने की दिशा में ठोस पहल भी कर दी।

देश की स्वतंत्रता के बाद उत्तराखंड ऐसा पहला प्रदेश बन गया है, जिसने यह कदम उठाया। विधानसभा चुनाव में समान नागरिक संहिता का दांव सही पड़ा। ऐसे में लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की ओर से इसे मुद्दा बनाना तय माना जा रहा है। कांग्रेस ने विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित होने के मौके पर भी विरोध के स्थान पर संयत रुख अपनाया था। ऐसे में चुनावी मोर्चे पर भाजपा के इस हथियार से निपटने को कांग्रेस को मजबूत ढाल का सहारा लेना पड़ रहा है।

कांग्रेस ने किया है सीमित विरोध

प्रदेश में मतांतरण और लव जिहाद पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून अस्तित्व में आ चुका है। भाजपा सरकार बीते दिनों सरकारी भूमि, परिसंपत्ति विशेष रूप से वन भूमि पर अतिक्रमण रोकने के लिए सख्त कानूनी प्रविधान कर चुकी है।

हल्द्वानी के बनभूलपुरा में हुए उपद्रव के बाद प्रदेश में दंगाइयों से निपटने के लिए भी कड़ा कानून बनाया गया है। इन कानूनों को लेकर कांग्रेस ने सरकार की नीयत और नीति पर सवाल खड़े तो किए, लेकिन इन सभी विषयों पर आक्रामक होने के बजाय सावधानी बरतते हुए सीमित विरोध की रणनीति पार्टी की रही है। वहीं सत्तापक्ष इन सभी विषयों पर प्रमुख प्रतिपक्षी को जनता के बीच घेर रहा है।

भाजपा कर रही असली मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश: जाेशी

इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संगठन एवं प्रशासन मथुरा दत्त जोशी ने कहा कि कांग्रेस प्रदेश में मुद्दों के आधार पर जनता को ध्रुवीकृत करने की भाजपा की मंशा को सफल नहीं होने देगी। पार्टी उन मुद्दों को लेकर जनता की अदालत में है, जिनसे ध्यान हटाने के लिए सत्तापक्ष प्रयास कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *