अल्मोड़ा संसदीय सीट में कई दिग्गजों ने भाग्य आजमाया, लेकिन सफलता कुछ को ही मिली। ऐसा ही कुछ हुआ उत्तराखंड के पूर्व सीएम व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के साथ। अल्मोड़ा संसदीय सीट से वर्ष 1989 के चुनाव की हार के बाद भगत दा को लोकसभा सदस्य बनने के लिए 25 वर्ष का लंबा इंतजार करना पड़ा। उनका भाग्य राज्य बनने के बाद चमका और वह सत्ता के शिखर पर चढ़ते रहे।
संसदीय चुनाव के इतिहास में वर्ष 1989 का चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के लिए बेहद खास रहा। उस समय भगत सिंह कोश्यारी 47 वर्ष के थे। उस चुनाव में कुछ ऐसा हुआ, जिसके बाद संसदीय चुनावों से उन्होंने एक तरह से अघोषित संन्यास ही ले लिया। 1989 में भगत सिंह कोश्यारी ने अल्मोड़ा से संसदीय सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा।
एक दशक पहले उत्तराखंड क्रांति दल की स्थापना भी हुई थी। अलग राज्य उत्तराखंड के प्रखर पक्षधर काशी सिंह ऐरी। यह वह दौर था जब उत्तरप्रदेश से अलग एक पहाड़ी राज्य की मांग जोरों पर थी। इसलिए पहाड़ी जिलों में उक्रांद का जनाधार भी लगातार बढ़ रहा था। चुनाव परिणाम अप्रत्याशित रहे। 1989 में देश में राजनीतिक परिस्थिति तेजी से बदल रही थी। कांग्रेस के विरोध में लहर थी।
इस कारण बीजेपी को लग रहा था कि वह यह चुनाव जीत जाएगी। चुनाव में कुल तीन लाख 72 हजार लोगों ने मतदान किया। भगत दा को केवल 9.32 प्रतिशत यानि 34768 मत मिले और वह तीसरे नंबर पर रहे। उन्हें जनता ने एक तरह से नकार ही दिया था। केवल जमानत बचाने में सफल रहे। हार से हताश भगतदा दो वर्ष बाद 1991 में हुए चुनाव में टिकट की दौड़ से खुद हट गए। तब बीजेपी ने नए चेहरे जीवन शर्मा को टिकट दिया।
राम लहर में वह चुनाव जीत गए। 1989 के संसदीय चुनाव हारने के बाद भगतदा को लोकसभा सदस्य बनने के लिए 25 वर्ष इंतजार करना पड़ा। वह 72 वर्ष की उम्र में साल 2014 में मोदी लहर में नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से चुनाव जीतने में सफल रहे। प्रत्याशी मत हरीश रावत कांग्रेस 149703 काशी सिंह ऐरी 138902 भगत सिंह कोश्यारी 34768 कुल मतदान 372715, 43.81 प्रतिशत