.तो वोट देने गांव लौटेंगे उत्तराखंड के करीब पांच लाख प्रवासी, नेताजी कर रहे परिक्रमा

लोकसभा चुनाव में मतदान की घड़ी अब करीब आ रही है। ऐसे में अब राजनीतिक दल प्रचार अभियान तेज करने के साथ ही वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए मतदाताओं की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं।राज्य के बड़ी संख्या में प्रवासी दिल्ली एनसीआर में कार्यरत हैं, जिसमें से करीब पांच लाख लोगों के नाम राज्य की मतदाता सूची में हैं। ऐसे में भाजपा-कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रवासी उत्तराखंडी गांव में मतदान कर उनकी जीत सुनिश्चित करेंगे।

दिल्ली एनसीआर सहित देश के तमाम राज्यों में 50 लाख से अधिक प्रवासी उत्तराखंडी रहते हैं। एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली में ही करीब पांच लाख प्रवासी उत्तराखंडी ऐसे हैं, जिनके नाम मूल गांव या शहर की मतदाता सूची में दर्ज हैं। 19 अप्रैल को मतदान हैं, ऐसे में भाजपा-कांग्रेस इन प्रवासियों को वोट देने के लिए उत्तराखंड लौटने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

सियासत में रहा है दखल

राज्य की सियासत में प्रवासी प्रकोष्ठ का दखल रहा है। राज्य बनने के बाद के विधानसभा चुनावों में प्रवासी प्रकोष्ठ के सैकड़ों कार्यकर्ता गांव पहुंचते रहे हैं। राज्य में ऐसे भी विधानसभा क्षेत्र हैं, जहां प्रवासी मतदाताओं के समर्थन से प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की।

भाजपा के उत्तरांचल प्रकोष्ठ दिल्ली के प्रभारी अर्जुन सिंह राणा के अनुसार प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं को उत्तराखंड नहीं भेजा गया है, मगर प्रवासी मतदाताओं से वोट देने के लिए गांव लौटने की अपील की जा रही है। राणा ने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड की पांचों सीटों पर प्रवासी मतदाताओं के समर्थन से भाजपा प्रत्याशी पिछली बार से अधिक रिकार्ड मतों से जीत दर्ज करेंगे।

कोविड काल में घर आए थे प्रवासी

कोरोना की दूसरी लहर के बाद राज्य के एक लाख से अधिक प्रवासी लोग मूल गांव लौट आए थे। इसमें सर्वाधिक संख्या अल्मोड़ा, दूसरे नंबर पर पौड़ी गढ़वाल के प्रवासी रहे। सरकार की ओर से बनाए स्मार्ट सिटी पोर्टल के अनुसार 2021 में अप्रैल-मई के बीच एक माह में ही एक लाख दस हजार से अधिक ने पंजीकरण कराया। करीब एक-सवा साल तक गांव में रहे।

मनरेगा सहित अन्य योजनाओं में भी बड़ी संख्या में प्रवासियों ने काम भी किया। सरकार की ओर से प्रवासियों को रोकने की योजना तो बनाई लेकिन उनका प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हुआ तो प्रवासी फिर से महानगरों की ओर लौट गए थे।

तब 2021 में अल्मोड़ा में 31 हजार 218, बागेश्वर में करीब तीन हजार, चमोली में ढाई हजार से अधिक, चंपावत में तीन हजार से अधिक, दून में सात हजार से अधिक, हरिद्वार में चार हजार से अधिक, नैनीताल में करीब नौ हजार, पौड़ी में करीब 23 हजार, पिथौरागढ़ में करीब चार हजार, रुद्रप्रयाग में दो हजार, टिहरी में करीब सात हजार, ऊधमसिंह नगर में करीब छह हजार व उत्तरकाशी में करीब एक हजार प्रवासी लौटे थे। अनुमान के अनुसार पूरे राज्य में कोविड काल में पांच लाख से अधिक प्रवासी लौटे थे।

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