पिता चल बसे, बेटा नहीं रहा फिर भी न भूले राष्ट्रधर्म

ऐसे भी लोग हैं, जिनके सामने दुखों का पहाड़ टूटा था। कोई अपना गुजर गया था। ऐसे में उन्हें सांत्वना की जरूरत थी। अंतिम संस्कार की रस्म निभानी थी, लेकिन उन्होंने पहले राष्ट्रधर्म निभाया।

किसी का बेटा चल बसा था तो किसी के पिता इस दुनिया को छोड़ गए थे। रामपुर रोड स्थित चांदनी चौक तीला निवासी कार्तिक उपाध्याय के पिता लीलांबर उपाध्याय का शुक्रवार सुबह निधन हो गया था। वह 77 वर्ष के थे। लंबे समय से बीमार थे। उनके निधन से परिवार के लोग दुखी थे लेकिन कार्तिक ने पहले अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाया।

सुबह सात बजे पहले राजकीय इंटर कालेज हरिपुर जमन सिंह पहुंचे। इसके बाद पिता का अंतिम संस्कार किया। वहीं, गौलापार निवासी पूर्व प्रधान व भाजपा मंडल अध्यक्ष ललित आर्य के 20 वर्षीय बेटे का निधन हो गया था। इसके बावजूद वह सुबह पहले मतदान केंद्र पर पहुंचे और वोट दिया। इसके बाद अंतिम संस्कार किया। जब लोगों को पता चला तो उनकी भी आंखें भर आईं।

हल्द्वानी क्षेत्र में शुक्रवार को प्रचंड गर्मी संग रहा लू का प्रभाव

भीषण गर्मी की मार और गर्म हवाओं का प्रहार चुनावी महापर्व के उत्सवी माहौल का प्रभावित नहीं कर पाया। हल्द्वानी और आसपास क्षेत्रों में 38.3 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच चंद सेकेंड खड़ा रहना संभव नहीं होता है। मगर विकसित राष्ट्र का विचार और लोकतंत्र छांव ने मतदाताओं को एक अलग ही शक्ति प्रदान की। लोगों ने मौसम की मार के बावजूद लाइनों में खड़े रहकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

दरअसल, तराई-भाबर क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से लगातार तापमान में वृद्धि का क्रम बना हुई है। रोजाना औसतन 0.5 से 1.0 डिग्री तक तापमान बढ़ रहा है। मौसम का मिजाज देखते हुए हल्द्वानी के मतदान केंद्रों में शुक्रवार सुबह काफी भीड़ रही। लोगों की धूप खिलने से पहले ही काफी संख्या में अपने मताधिकार का प्रयोग कर लिया था।

वहीं दोपहर में मतदेय स्थलों पर लोगों की कतारें तो दिखाई दीं मगर संख्या अपेक्षा से काफी कम ही नजर आई। इसका बड़ा कारण दिन के समय भीषण गर्मी और लू चलाना भी रहा। हालांकि, लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए पहुंचते रहे।

प्रचंड गर्मी के बीच मतदान करने को लाइनों में खड़े लोगों की आंखों में बेहतर भविष्य और भारत की उन्नति की उम्मीदें साफ तौर देखने को मिल रही थीं। इधर, तापमान में जिस तरह से वृद्धि हुई उसने अपेक्षित मतदान नहीं हो पाया। वहीं ऐसे में राजनीतिक दलों की ओर से लगाया वोटों का गणित भी कहीं न कहीं गड़बड़ाने की संभावना है।

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