दून में चल रहे अवैध टेलीफोन एक्सचेंज के मामले में बीएसएनएल के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। जो निगम आम आदमी को एक कनेक्शन देने के लिए कई चक्कर कटवाता है, उसने ‘हवा’ में चल रही कंपनी को 500 नंबर कैसे जारी कर दिए।
एसटीएफ की ओर से मामले का पर्दाफाश करने के बाद अब भारी संख्या में नंबर जारी करने वाले बीएसएनएल के अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है। एसटीएफ की अब तक की जांच में सामने आया है कि आरोपित अनुराग गुप्ता ने जिस स्पेक्ट्रम इंफो वेब सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड, एमएम टावर के नाम से कंपनी बनाई वह केवल आनलाइन ही चल रही थी।
जमीनी स्तर पर कंपनी थी ही नहीं और आरोपित ने इसी कंपनी को दर्शाकर बीएसएनएल से प्राइमरी रेट इंटरफेस (पीआरआइ) लाइन विदेश से आने वाली काल को दूसरे व्यक्ति तक स्थानांतरण करने के लिए लिया था। यहां पर अधिकारियों ने इस बात का भी सत्यापन नहीं किया कि जिस कंपनी के नाम पर पीआरआइ लाइन जारी की जा रही है, वास्तव में उसका काम क्या है।
इसके बाद आरोपित ने बीएसएनएल से 500 नंबर भी ले लिए और नंबर जारी करने वाले अधिकारी व कर्मचारी ने कंपनी का भौतिक सत्यापन तक नहीं किया। एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि बीएसएनएल के अधिकारियों व कर्मचारियों की भूमिका सवालों के घेरे में है। जांच करने के बाद ही पता चल सकेगा कि आखिर इतनी भारी संख्या में नंबर किस तरह से जारी किए गए।
एसटीएफ की जांच में यह बात सामने आई है कि अवैध टेलीफोन एक्सचेंज में प्रतिदिन 50 हजार काल आते थे। इसमें आरोपित प्रति काल छह रुपये वसूल करता था। इनमें अधिकतर काल देश व विदेश से प्रमोशन काल होती थीं। क्योंकि प्रमोशन काल के नियम काफी सख्त हैं, ऐसे में आरोपित अवैध तरीके से प्रमोशन काल को डायवर्ट करता था। इस तरह से आरोपित प्रतिदिन तीन लाख रुपये की कमाई कर रहा था।
पूछताछ में आरोपित ने बताया कि उसने दून के एक कालेज से बीकाम किया। इसके बाद वह सीए की पढ़ाई करने लगा। इस बार उसका अंतिम वर्ष है। उसे कंप्यूटर तकनीकी की पूरी जानकारी है, ऐसे में उसने सोनीपत व बिहार में काल सेंटर स्थापित करने का काम भी किया। आरोपित अवैध एक्सचेंज चलाने के साथ काल सेंटर स्थापित करने का काम भी करता था।