उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में जंगलों में लगी भीषण आग को फैलने से रोकने में वन अधिकारियों की मदद के लिए एनडीआरएफ के 41 जवानों की एक टीम को नैनीताल भेजा गया है। इस बीच राज्य सरकार ने आदेश जारी कर वन अधिकारियों की छुट्टी पर रोक लगा दी है। यह रोक आग लगने के सीजन तक रहेगी। सूबे में जंगल की आग का समय 15 फरवरी से 15 जून तक होता है। यानी वन अधिकारियों को 15 जून तक छुट्टियां नहीं मिलेंगी।
बीते 24 घंटे के दौरान यानी रविवार शाम 4 बजे तक, उत्तराखंड में जंगल में आग लगने की 8 घटनाएं हुई हैं। इनमें कुमाऊं क्षेत्र में आग लगने की 4 घटनाएं शामिल हैं। उत्तराखंड में पिछले साल पहली नवंबर से जंगल की आग की 606 घटनाएं सामने आई हैं। इसमें 735.8 हेक्टेयर से अधिक वन भूमि को नुकसान पहुंचा है। गढ़वाल क्षेत्र में 242.3 हेक्टेयर, कुमाऊं क्षेत्र में 429.4 हेक्टेयर और प्रशासनिक वन्यजीव क्षेत्रों में 64.02 हेक्टेयर भूमि क्षतिग्रस्त हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि बारिश नहीं होने और लू चलने के कारण के कारण नेपाल से लगे उत्तराखंड के चंपावत और नैनीताल जिले के निचले क्षेत्रों के जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ रही हैं। प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि आग लगने के सीजन के दौरान वन विभाग के किसी भी अधिकारी/कर्मचारी की छुट्टियां (विशेष परिस्थितियों को छोड़कर) स्वीकृत न की जाएं।
आदेश में कहा गया है कि इस मसले पर लोगों के बीच जागरूकता कार्यक्रमों के साथ बड़ी संख्या में प्रचार/बैठकें आयोजित की जानी चाहिए। वन विभाग का यह निर्देश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की ओर से वरिष्ठ वन अधिकारियों को सख्त आदेश जारी करने के बाद आया है। धामी ने कहा- मैंने डीएम और अन्य अधिकारियों को सक्रिय अग्निशमन केंद्रों के साथ काम करने और स्थानीय नागरिकों से मदद लेने का निर्देश दिया है।
नैनीताल-भवाली मार्ग के पास लगी आग को एयरफोर्स के हेलीकॉप्टरों की मदद से बुझा दिया गया है। बता दें कि आग के एयरफोर्स बेस के पास तक खतरनाक ढ़ंग से पहुंचने के बाद हेलीकॉप्टरों की मदद ली गई। जंगल की आग हाईकोर्ट कॉलोनी तक पहुंच गई थी। शुक्रवार शाम से शनिवार शाम तक 24 घंटे के दौरान जंगल में आग की 23 घटनाएं सामने आई थीं। इनमें से 16 कुमाउं क्षेत्र की हैं। इन घटनाओं में 34.175 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ।