परंपरा में बदलाव को लेकर ग्राम देवता ‘सख्त’, नहीं दी गंगा डोली रथ यात्रा की अनुमति

सड़क मार्ग जांगला से गंगोत्री धाम के लिए गंगा की डोली रथ पर लेकर जाने के निर्णय पर मुखवा गांव के ग्राम देवता सोमेश्वर के आदेश ने विराम लगा दिया। इस बार मां गंगा की डोली को रथ पर लेकर जाने के लिए रथ भी तैयार किया गया।देवता के आदेश में मां गंगा की डोली को परंपरा के अनुसार पैदल ही गंगोत्री धाम पहुंचाया गया। सोमेश्वर देवता के आदेश को मानते हुए गंगोत्री मंदिर समिति ने रथ योजना को स्थगित कर दिया।

गंगोत्री मंदिर समिति की ओर से इस वर्ष पहली बार जांगला से लेकर गंगोत्री धाम तक मां गंगा की डोली और विग्रह मूर्ति को मोटर से संचालित रथ से ले जाने की योजना थी। यह रथ बीते बुधवार को मां गंगा के शीतकालीन प्रवास मुखवा पहुंचा गया था।गुरुवार को मां गंगा की डोली और विग्रह मूर्ति को रवाना करने से पहले गंगोत्री मंदिर समिति सहित मुखवा के ग्रामीणों ने परंपरा के अनुसार समेश्वर देवता से इस कार्य के लिए अनुमति मांगी। परंतु परंपराओं में बदलाव को लेकर देवता ने मना किया और रथ यात्रा के जरिये गंगा की डोली गंगोत्री लेकर जाने के लिए अनुमति नहीं दी।

गंगोत्री धाम मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने कहा कि ग्राम देवता के आदेशानुसार गत गुरुवार को मां गंगा की डोली तीर्थ पुरोहित पैदल लेकर ही गंगोत्री धाम के लिए रवाना हुए।ग्राम देवता ने कहा कि मां गंगा की डोली यात्रा को पौराणिक काल से ही तीर्थ पुरोहित और श्रद्धालु पैदल गंगोत्री धाम पहुंचाते हैं। इसलिए इस पंरपरा के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। देवता के आदेशानुसार पौराणिक परंपरा ही जारी रहेगी।

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