बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सुबह छह बजे पूरे विधि-विधान, वैदिक मंत्रोच्चार और ‘बद्री विशाल लाल की जय’ के नारों के साथ सेना के बैंड की मधुर धुनों के बीच श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इसके साथ ही चारधाम यात्रा पूर्ण स्वरूप को प्राप्त कर ली है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने इसकी सभी तैयारियां पूरी करते हुए मंदिर की 15 क्विंटल फूलों से भव्य सजावट की गई है।कपाट खुलने के मौके पर अखंड ज्योति के दर्शन को तीर्थ यात्रियों में भारी उत्साह है।
देर शाम तक पांच हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंच चुके थे, जबकि 15 हजार से अधिक तीर्थयात्री विभिन्न पड़ावों पर मौजूद हैं। गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम में कपाट शुक्रवार को ही खोल दिए गए थे। इससे पहले शनिवार को भगवान बदरी नारायण के प्रतिनिधि उद्धवजी, देवताओं के खजांची कुबेरजी व गरुड़ महाराज की डोली के साथ आदि शंकराचार्य की गद्दी व गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मंदिर से बदरीनाथ धाम पहुंच गई।
बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि परंपरा के अनुसार, मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी और वेदपाठी सुबह पांच बजे मंदिर द्वार पूजन के साथ कपाट खोलने की प्रक्रिया शुरू करेंगे।
कपाट खुलने पर मुख्य पुजारी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे और फिर वहां विराजमान माता लक्ष्मी के विग्रह को परिक्रमा स्थल स्थित लक्ष्मी मंदिर में विराजमान करेंगे। इसके बाद उद्धवजी व कुबेरजी गर्भगृह में विराजेंगे। सुबह छह बजे भगवान बदरी विशाल की चतुर्भुज मूर्ति से घृत कंबल को अलग कर अभिषेक के पश्चात उनके श्रृंगार दर्शन होंगे और संपूर्ण बदरीश पंचायत उद्धवजी, कुबेरजी, नारदजी, नर और नारायण के दर्शन शुरू हो जाएंगे।
परंपरा के अनुसार जोशीमठ से 25 किमी दूर सुभांई गांव (तपोवन) में स्थित भविष्य बदरी धाम और उर्गम घाटी में स्थित बंशी नारायण के कपाट भी बदरीनाथ धाम के साथ ही खोले जाएंगे। इसी के साथ बदरीनाथ धाम मंदिर स्थित गणेशजी, घंटाकर्णजी, आदि केदारेश्वरजी, आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर, माता मूर्ति मंदिर के कपाट भी खुल जाएंगे।