अधर में लटकी Dehradun की Neo Metro, अब Pod Taxi पर कसरत

जिस उम्मीद के साथ वर्ष 2016-17 में उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन को धरातल पर उतारा गया था, वह सात साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इस बीच कारपोरेशन से मोनो रेल से लेकर केबल कार और नियो मेट्रो तक पर कसरत कराई गई, लेकिन हसरत कभी पूरी नहीं हो पाई।जनवरी 2022 में जब अंतिम रूप से शहर के दो कारीडोर के लिए नियो मेट्रो की 1,650 करोड़ रुपये की डीपीआर को केंद्र सरकार को भेजा गया था, तब माना जा रहा था कि अब सपना साकार हो जाएगा। हालांकि, निरंतर बढ़ते इंतजार के साथ यह उम्मीद भी धूमिल पड़ती जा रही है।

हालांकि, इस उम्मीद को केंद्र सरकार के भरोसे छोड़कर कारपोरेशन के अधिकारी दून में पाड टैक्सी के नए प्रोजेक्ट पर आगे बढ़ने लगे हैं। यह परियोजना नियो मेट्रो की फीडर लाइन के रूप में काम करेगी। इसके रूट तय करते हुए डीपीआर तैयार करने के लिए बुनियादी सर्वे भी पूरा कराया जा चुका है।पाड टैक्सी का संचालन क्लेमेनटाउन से बल्लीवाला, गांधी पार्क से आइटी पार्क और पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन के बीच किया जाएगा। यह फीडर लाइन नियो मेट्रो के यात्रियों को मुख्य कारीडोर तक पहुंचाने और वापस लाने में मददगार साबित होगी। ताकि मेट्रो में सफर के बाद और पहले आसपास के क्षेत्रों के निवासी इसका प्रयोग कर सकें।

यह होंगे फीडर लाइन के रूट

  • क्लेमेनटाउन से बल्लीवाला, 7.65 किमी
  • गांधी पार्क से आइटी पार्क, 6.22 किमी
  • पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन, 4.62 किमी

आइएसबीटी से गांधी पार्क (5.52 किमी) और एफआरआइ (13.9 किमी)

पाड टैक्सी का संचालन भी नियो मेट्रो की तरह पिलर पर किया जाएगा। इसमें नियो मेट्रो के मुकाबले छोटे केबिन होंगे, जिसमें 06 से 08 यात्री बैठ सकते हैं।

सवाल: कब तक विकल्पों पर होता रहेगा काम

बेशक उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन के अधिकारी सिर्फ नियो मेट्रो के इंतजार में खाली नहीं बैठ सकते हैं। फिर भी सवाल यह है कि क्या कारपोरेशन सिर्फ विकल्पों पर कागजी करवाई तक सीमित रहेगा।

क्योंकि, नियो मेट्रो का भविष्य अभी अंधेरे में ही है और अब पाड टैक्सी पर भी कसरत शुरू की जा चुकी है। लिहाजा, सरकारी मशीनरी को सार्वजनिक परिवहन की आधुनिक सेवाओं को लेकर अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए करवाई की दिशा में आगे बढ़ना होगा।उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन दून से लेकर हरिद्वार और ऋषिकेश तक में विभिन्न प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। फिर भी अभी तक किसी भी परियोजना में निर्माण शुरू नहीं किया जा सका है। हालांकि, निर्माण की दिशा में बढ़ने वाला नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट पहला हो सकता है।

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