जिस उम्मीद के साथ वर्ष 2016-17 में उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन को धरातल पर उतारा गया था, वह सात साल बाद भी पूरी नहीं हो पाई है। इस बीच कारपोरेशन से मोनो रेल से लेकर केबल कार और नियो मेट्रो तक पर कसरत कराई गई, लेकिन हसरत कभी पूरी नहीं हो पाई।जनवरी 2022 में जब अंतिम रूप से शहर के दो कारीडोर के लिए नियो मेट्रो की 1,650 करोड़ रुपये की डीपीआर को केंद्र सरकार को भेजा गया था, तब माना जा रहा था कि अब सपना साकार हो जाएगा। हालांकि, निरंतर बढ़ते इंतजार के साथ यह उम्मीद भी धूमिल पड़ती जा रही है।