केदारनाथ मंदिर की दिल्ली में प्रतिमा बनाई जाने को लेकर कांग्रेसियों द्वारा ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में धरना प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल, पूर्व विधायक मनोज रावत समेत कांग्रेस के अन्य मौजूदा विधायक भी शामिल होंगे।
केदारनाथ से लेकर केदारघाटी की क्षेत्रीय जनता में विरोध के स्वर
दिल्ली में भगवान श्री केदारनाथ के प्रतीकात्मक मन्दिर निर्माण के शिलान्यास को लेकर केदारनाथ धाम से लेकर केदारघाटी की क्षेत्रीय जनता में विरोध के स्वर शुरू हो गए हैं। तीर्थ पुरोहित समाज, स्थानीय जनप्रतिनिधियों, होटल कारोबारियों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन कर दिल्ली में भगवान केदारनाथ के मन्दिर निर्माण के फैसले को वापस लेने की मांग की है।
शनिवार के बाद रविवार को भी केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने धामी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान पूर्व केदारसभा अध्यक्ष किशन बगवाड़ी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने धाम में व्याप्त समस्याओं का कभी भी निराकरण नहीं किया, लेकिन दिल्ली में जाकर ट्रस्ट द्वारा निर्मित मन्दिर का शिलान्यास किया है।
सचिव नितिन जमलोकी ने कहा कि इस प्रकार स्थान विशेष की महत्ता को बिगड़ना गलत है। आप भगवान शिव के अन्य नाम का उपयोग करें, शिव के तो अनन्य नाम हैं। उन्होंने कहा कि शीघ्र इस प्रकार के गलत कार्यों को बंद नहीं किया गया तो केदारघाटी में उग्र आंदोलन किया जाएगा। इस दौरान बड़ी संख्या में होटल व्यवसायी मौजूद रहे।इस अवसर पर केदार सभा के पूर्व अध्यक्ष विनोद शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष किशन बगवाड़ी, उमेश पोस्ती, तेजप्रकाश तिवारी, अनित शुक्ला, अशोक सेमवाल, जयंत सेमवाल, राजेश कोठियाल, सतीश शुक्ला सहित कई तीर्थ पुरोहित समेत बड़ी संख्या में तीर्थपुरोहित एवं स्थानीय लोग उपस्थित थे।
केदारनाथ मंदिर के नाम पर राजनीति कर रही है कांग्रेस: मंदिर समिति अध्यक्ष
श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि दिल्ली में किसी संस्था द्वारा श्री केदारनाथ मंदिर की प्रतिकृति बनाए जाने के मामले को कांग्रेस नेता अनावश्यक रूप से तूल दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रतिकृति से कोई लेना देना ना ही प्रदेश सरकार का है और ना ही मंदिर समिति का।
कहा कि यदि संबंधित संस्था केदारनाथ धाम के नाम का दुरूपयोग करती है या फिर चंदा एकत्रित करती है तो मंदिर समिति कानूनी कार्रवाई करेगी, इसके लिए अधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है। कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुंबई में बदरीनाथ मंदिर का उद्घाटन किया था। तब कांग्रेस नेताओं ने ना ही इसका विरोध किया और ना ही तब तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल धरने पर बैठे थे।
शनिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से वार्ता के बाद बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र ने स्पष्ट किया कि दिल्ली में बन रहे मंदिर से राज्य सरकार का कोई लेना देना नहीं है और ना ही राज्य सरकार अथवा मुख्यमंत्री द्वारा इस हेतु किसी प्रकार का सहयोग दिया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी दिल्ली में प्रस्तावित मंदिर के शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कुछ विधायकों, जन प्रतिनिधियों तथा साधु-संतों के अनुरोध पर गये थे। यह रूटीन प्रक्रिया का हिस्सा था।
मुख्यमंत्री ने धार्मिक कार्यक्रम के नाते कार्यक्रम में शामिल होने की सहमति दी थी। इसके पीछे यह मंतव्य कहीं भी नहीं था कि प्रस्तावित मंदिर को बाबा केदार के धाम के रूप में विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट द्वारा ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ हिमालय के नाम का दुरुपयोग किया जाएगा अथवा श्री केदारनाथ धाम के नाम पर चंदा एकत्र किया जाएगा तो राज्य सरकार एवं बीकेटीसी ट्रस्ट पर वैधानिक कार्रवाई करेगी। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा बीकेटीसी के अधिकारियों को इस संबंध में कानूनी राय लेने के निर्देश दे दिए गए हैं।
अजेंद्र ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। वर्ष 2015 में मुंबई के वसई नामक स्थान में 11 करोड़ की लागत से भब्य बदरीनाथ मंदिर बनाया गया था। जिसके शिलान्यास के अवसर पर तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री हरीश रावत कार्यक्रम में शामिल हुए थे। तब कांग्रेसियों द्वारा यह कहा गया कि एक ही नाम से मंदिर बनने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुंबई में बने बदरीनाथ मंदिर बनने का विरोध नहीं किया।