कांवड़ यात्रा चरम पर है। हरकी पैड़ी, मुख्य कांवड़ मेला बाजार पंतद्वीप, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन समेत शहर के अन्य सार्वजनिक स्थलों पर कांवड़ यात्रियों की चौपालें सजी हैं। चाय की दुकान, गंगा तट, मठ-मंदिर और पार्क इत्यादि जगह पर कांवड़ यात्री ही नजर आ रहे हैं।पुलिस के अनुसार अब तक करीब 27 लाख 40 हजार से अधिक कांवड़ यात्री जल लेकर हरिद्वार से अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके हैं। कांवड़ यात्रा के चौथे दिन गुरुवार को वापसी करने वाले कांवड़ तीर्थ यात्रियों की संख्या करीब 15 लाख रही।
दो अगस्त महाशिवरात्रि
22 जुलाई को सावन के पहले सोमवार से एक सप्ताह पूर्व से धर्मनगरी में कांवड़ यात्रियों का आना आरंभ हो गया था। इसके साथ ही जल लेकर वापसी का क्रम भी शुरू हुआ। दो अगस्त महाशिवरात्रि तक धर्मनगरी कांवड़ मेले के रंग में ही रंगी रहेगी। हरकी पैड़ी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाकों के बाजारों में इन दिनों सुबह से लेकर देर रात तक रौनक छाई हुई है।हर जगह अलग-अलग टोलियों में शिवभक्त कांवड़ यात्री नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही कांवड़ बाजार भी सज गया है। परंपरा और मान्यता है कि शिव जलाभिषेक को गंगा जल लेने हरिद्वार आने वाला कांवड़ यात्री यहीं से अपनी कांवड़ खरीदता है।
आकर्षण का केंद्र बनी दो लाख 51 हजार के नोट वाली कांवड़
कांवड़ यात्रा में दो लाख 51 हजार के नोटों से सजी कांवड़ सभी के आकर्षण का केंद्र बनी रही। कांवड़ मेले के चौथे दिन दिल्ली के कमरूदीन नगर नांगलोई से दस शिवभक्तों की टीम यह कांवड़ लेकर हरिद्वार पहुंची। टीम में शामिल गौरव, आजाद, दीपक, राज, मनोज, अभिषेक ने बताया कि वे पिछले चार वर्षों से कांवड़ लेने हरिद्वार आते हैं, हर बार अपनी कांवड़ सजाने को कुछ न कुछ नया करते हैं।
कांवड़ के साथ चल रहे आजाद कुमार ने बताया कि सबसे पहली बार उन्होंने 51 हजार के नोटों से अपनी कांवड़ सजाई थी, दूसरी बार में एक लाख, तीसरी में डेढ़ और चौथी बार में दो लाख 51 हजार के नोटों से अपनी कांवड़ सजाई है। वर्षा में नोट भीग न जाएं इसके लिए पूरी कांवड़ को कवर किया हुआ है। यह सभी नोट कांवड़ में साथ चल रही साथी अपने-अपने पास से अपनी कमाई से लगाते हैं।