देहरादून में महंगाई का असर…दस साल में 70 फीसदी महंगे हो गए गजानन

महंगाई के प्रभाव से कोई बचा नहीं है। अब महंगाई का असर धन की देवी मां लक्ष्मी के गणेश तक जा पहुंचा है। आलम यह है कि बीते दस सालों में गणपति बप्पा की मूर्ति की कीमत में 70 फीसदी का इजाफा हुआ है।दरअसल, दस दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव को लेकर तैयारियां जोरों से चल रही हैं। उत्सव की शुरुआत इस महीने 19 सितंबर से होगी। इसके लिए कारीगर जीएमएस रोड स्थित कांवली में बीते चार महीने से मूर्तियां बनाने का काम कर रहे हैं। करीब 16 सालों से दून में भगवान गणेश की मूर्तियां बनाने का काम कर रहे राजस्थान के कारीगर किशन ने बताया, उनके छह परिवार बीते 16 सालों से दून में मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई का असर उनके काम पर भी पढ़ा है।

इसके चलते आज से दस साल पहले 30 रुपये में बिकने वाली भगवान गणेश की मूर्ति अब 100 रुपये में बिक रही है। किशन ने बताया वह 100 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक की मूर्ति बना रहे हैं। कारीगर सोनू ने बताया, इस साल उन्होंने भगवान गणेश की बड़ी-छोटी करीब 700 मूर्तियां बनाई हैं। एक फीट से लेकर दस फीट ऊंची मूर्ति को बनाने में करीब चार महीने का समय लगता है। शुरुआत में सिर्फ 100 मूर्ति ही बनाते थे। अब मांग बढ़ने लगी है तो मूर्तियों की संख्या भी बढ़ा दी है।

कच्चे माल पर पड़ा महंगाई का असर

कारीगर नेमा राम ने बताया मूर्ति की कीमत में बढ़ोतरी का सीधा कारण कच्चे माल के बढ़ते दाम हैं। मूर्ति बनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी), लकड़ी, नारियल का जूट, कपड़ा और रंग का प्रयोग किया जाता है। मूर्तियों के शृंगार के लिए ऑयल पेंट का भी इस्तेमाल किया जाता है। ऑयल पेंट की कीमत में प्रति डिब्बा 20 से 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं, रंगाई के लिए ब्रश भी 30 रुपये की जगह इस साल 45 रुपये में मिल रहे हैं। इसके चलते मूर्ति की कीमतों में सीधे 70 फीसदी इजाफा हुआ है।

रंग भरने और गहने बनाने में लगता है अधिक समय

मूर्तिकार अंबे ने बताया, एक मूर्ति को बनाने में करीब चार महीने का समय लगता है, लेकिन रंग भरने और मूर्ति के जेवर बनाने में सबसे ज्यादा समय लगता है। इसी काम के बाद ही मूर्ति आकर्षित बनती है। बताया, पूरे साल वह अन्य प्रकार की मूर्तियां, बर्तन, गमले आदि भी बनाते हैं।

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