औद्योगिक विकास विभाग ने खनिज के परिवहन में इस्तेमाल होने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य कर दिया है। साथ ही जीपीएस (ग्लोबल पोजिस्निंग सिस्टम) व धर्मकांटा को भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय के विभागीय ई-रवन्ना पोर्टल के साथ जोड़ा जाएगा। इससे विभाग के पास सभी वाहनों का डेटा रहेगा। बिना वैध ई-रवन्ना व तय मार्ग से अन्यत्र मार्ग पर चलने वाले वाहनों को अवैध माना जाएगा।
जिन वाहनों में जीपीएस नहीं लगा होगा और आगे-पीछे स्पष्ट नंबर नहीं होंगे, उन्हें उपखनिज देने वाले स्टोन क्रशर, स्क्रीनिंग प्लांट, रिटेल भंडारकर्ता व अनुज्ञाधारक के विरुद्ध कार्यवाह करते हुए पांच लाख का अर्थदंड वसूला जाएगा।
अक्टूबर से शुरू हो जाएगा सभी जिलों में खनन का कार्य
प्रदेश में एक अक्टूबर से सभी जिलों में खनन का कार्य शुरू हो जाएगा। नदियों में अवैध खनन की शिकायतें भी लगातार आती रही हैं। अवैध खनन की रोकथाम एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आया है। नदियों में खनन के लिए निर्धारित क्षेत्र से बाहर जाकर बड़े पैमाने पर बेतरतीब ढंग से खनन, एक ही रवन्ने से कई फेरे उपखनिज का ढुलान जैसी शिकायतें आम हैं।
इससे जहां सरकार को राजस्व की हानि हो रही है, वहीं नदियों में खनन के लिए किए गए बड़े-बड़े गड्ढे और अवैज्ञानिक ढंग से हुआ खनन बाढ़ के खतरे को भी बढ़ा रहा है। इस सबको देखते हुए वर्ष 2019 में सरकार के निर्देश पर शासन ने खनन विभाग को ऐसे सभी वाहनों में जीपीएस लगाने के निर्देश दिए, जिनका उपयोग खनन सामग्री के ढुलान में किया जा रहा है।
उद्देश्य यह बताया गया कि इससे वाहन कब खनन लाट से बाहर निकल कर रहे हैं, कहां जा रहे हैं, इसकी पूरी जानकारी विभाग के पास रहेगी। यद्यपि, विभिन्न कारणों से यह प्रक्रिया परवान नहीं चढ़ पाई।
अब शासन ने उत्तराखंड खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण का निवारण) नियमावली में एक बार फिर संशोधन किया है। सचिव औद्योगिक विकास, खनन बीके संत द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि खनिजों के परिवहन में प्रयुक्त होने वाले सभी वाहनों में जीपीएस लगाना अनिवार्य होगा। इन वाहनों के आगे व पीछे स्पष्ट वाहन संख्या आदि प्रदर्शित करनी अनिवार्य होगा। ऐसा न करने वालों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।