इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के आपस में टकराने से हुआ हिमालय का निर्माण
विशेषज्ञों की मानें तो लगभग 50 मिलियन वर्ष पूर्व हिमालय का निर्माण इंडियन और यूरेशियन प्लेटों के आपस में टकराने से हुआ था। इंडियन प्लेट आज भी यूरेशियन प्लेट की ओर लगातार गति कर रही हैं। इन प्लेटों के आपस में टकराने से ही मुख्य केंद्रीय भ्रंश का निर्माण हुआ, जो कि वृहत हिमालय को लघु हिमालय से अलग करती है। इसका ढलान उत्तर तिब्बत की ओर है।
2200 किलोमीटर तक फैली हुई है मुख्य केंद्रीय भ्रंश
यह हिमालय के उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व दिशा में 2200 किलोमीटर तक फैली हुई है। दो प्लेटों के मध्य स्थित होने के कारण यह क्षेत्र अति संवेदनशील व बेहद कमजोर क्षेत्र है। पृथ्वी के अंदर होने वाली हलचल के कारण इन्हीं कमजोर क्षेत्रों से ऊर्जा निकलती रहती है, जिसके प्रभाव से भूकंप एवं भूस्खलन आदि घटनाएं होती रहती हैं।
भ्रंश रेखाओं के कारण ही ज्यादा आते हैं विनाशकारी भूकंप
हिमालयी क्षेत्र में मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT) के अतिरिक्त मेन बाउन्ड्री थ्रस्ट (MBT) लघु एवं शिवालिक हिमालय के मध्य स्थित है। वहीं, हिमालयन फ्रंट फाल्ट (HFF) शिवालिक तथा विशाल मैदान के मध्य स्थित है। भूकंप विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों के अनुसार हिमालय में उक्त भ्रंश रेखाओं के कारण ही हिमालय तथा इसके आसपास के क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप ज्यादा आते हैं।