उत्तराखंड: सनातन धर्म को मानने वालों और श्री गंगा सभा हरिद्वार के लिए गर्व का क्षण है. ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने हरिद्वार में तीर्थ पुरोहितों की संस्था श्रीगंगा सभा को हर की पैड़ी हरिद्वार में 1916 से लगातार हो रही ऐतिहासिक गंगा आरती को लेकर सम्मानित किया है. विधिवत रूप से ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में श्री गंगा सभा द्वारा आयोजित गंगा आरती का नाम दर्ज हो गया है.
हर की पैड़ी हरिद्वार में ब्रह्म कुंड परिसर में स्थित गंगा सभा के मुख्य कार्यालय में ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के भारत में प्रतिनिधि और संरक्षक पंडित सुरेश मिश्रा ने एक आयोजन में श्री गंगा सभा के अध्यक्ष पंडित नितिन गौतम और महामंत्री पंडित तन्मय वशिष्ठ तथा अन्य पदाधिकारियों को यह सम्मान प्रदान किया. श्री गंगा सभा को इस अवसर पर प्रमाण पत्र भेंट किया गया.
सांस्कृतिक और सामाजिक परंपराओं का संरक्षण करने वाली लंदन की ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के प्रतिनिधियों ने हर की पैड़ी स्थित गंगा सभा के ऑफिस पहुंचकर गंगा सभा को सम्मान पत्र सौंपा. ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के भारत के प्रतिनिधि पंडित सुरेश मिश्रा ने कहा कि कोरोना काल में भी जब सभी तरह की गतिविधियां थम गई थी, उस समय हर की पैड़ी पर गंगा आरती निर्बाध रूप से चलती रही. लिहाजा इस परंपरा का संरक्षण किया जाना जरूरी है.
हरिद्वार की पावन गंगा आरती को आधिकारिक रूप से ऑक्सफोर्ड बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्थान प्राप्त हुआ है. यह गौरवपूर्ण उपलब्धि न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे भारत की आस्था, संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत के लिए ऐतिहासिक क्षण है.
प्रतिदिन हरिद्वार के हर की पैड़ी पर संपन्न होने वाली गंगा आरती, अपने दिव्य वातावरण, वैदिक मंत्रोच्चार, दीपों की हजारों ज्योतियों और भक्तों की सामूहिक उपस्थिति के कारण विश्वभर के पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है. अब इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व की सबसे भव्य एवं निरंतर आयोजित होने वाली आरतियों में से एक के रूप में मान्यता मिली है.
गंगा आरती न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अद्वितीय है. दीपदान, वैदिक मंत्रोच्चारण और सामूहिक प्रार्थना के माध्यम से यह आरती विश्व शांति, मानव कल्याण और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है. हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु मानते हैं कि गंगा आरती में सम्मिलित होकर उन्हें आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव होता है. यही कारण है कि अब यह समारोह केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बन चुका है.