टनल में फंसे मजदूरों को बचाने वालों को भी रिस्क, NDMA ने दो घंटे वाली बात पर क्यों चेताया

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों के लिए गुरुवार का दिन अहम बताया जा रहा है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि 12 दिन से टनल में फंसे मजदूरों को आज बाहर निकाला जा सकता है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन पर पीएमओ की भी नजर बनी हुई है। लेकिन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के एक वरिष्ठ सदस्य ने बचाव टीमों पर दबाव डालने के खिलाफ लोगों को चेतावनी दी है।

NDMA के वरिष्ठ सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि टनल में फंसे मजदूर और उन्हें बचाने वाली रेस्क्यू टीम दोनों को बराबर रिस्क है। उन्होंने कहा कि इस रेस्क्यू को जल्द से जल्द पूरा करने का दबाव उन लोगों पर है जिससे कि जोखिम बढ़ सकता है।

सैयद अता हसनैन ने कहा, ‘ये बहुत चुनौती वाला काम है। मैं समझता हूं कि हर वक्त यह उम्मीद रखना कि हम दो घंटे में टनल में फंसे मजदूरों को निकाल लेंगे यह सरासर गलत है। इससे वर्क फोर्स (रेस्क्यू टीम) के ऊपर भी एक दबाव बनता है। इस स्थिति में मजदूर रिस्क में है और उतनी ही रिस्क पर जो स्टाफ वहां मौजूद हैं वो भी हैं। दोनों बराबर रिस्क पर हैं। इस वजह से हमें दोनों की सुरक्षा का ध्यान रखना है।’

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