मणिपुर के हालात पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जबर्दस्त फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दो महीने में वहां सबकुछ ध्वस्त हो चुका है। संवैधानिक मशीनरी तबाह हो चुकी है। जांच को ढुलमुल और सुस्त बताते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने और बयान रिकॉर्ड करने में भी देरी की गई है। कोर्ट सरकार के रवैये से इस कदर नाराज थी कि अगली सुनवाई पर उसने मणिपुर के डीजीपी से मौजूद रहने का निर्देश भी दे डाला।
सरकार की बेरुखी से नाराजगी
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के इन तीखे सवालों से विपक्ष को सीएम बिरेन सिंह पर हमला करने का नया मौका मिलेगा। विपक्ष पहले से ही यहां पर राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग कर रहा है। मंगलवार दोपहर को जब सुनवाई शुरू हुई तो सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि हिंसा के मामलों में 6523 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। इसमें ने 11 महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हिंसा को लेकर हैं। उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा उसी रिपोर्ट का हिस्सा है जो कोर्ट में पेश की गई है। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने यह भी बताया कि न्यूड वीडियो मामले में एक जुवेनाइल समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
क्या पुलिसवालों से पूछताछ हुई
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने उनसे पूछा कि क्या उन पुलिसवालों से पूछताछ हुई है, जिन्होंने महिलाओं को भीड़ को सौंप दिया था। इस पर मेहता ने कहा कि यह सूचना रातों-रात नहीं हासिल की जा सकती। इसके बाद सीजेआई ने एक अन्य घटना की डिटेल मांगी, जिसमें दो महिलाओं की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। मेहता ने पीठ को बताया कि 15 मई को एक जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी और इसे 16 जून को रेगुलर एफआईआर में तब्दील कर दिया गया। जब सीजेआई ने पूछा कि क्या कोई गिरफ्तारी हुई है, तो सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं है।
एफआईआर में देरी पर नाराजगी
मेहता द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को देखते हुए सीजेआई ने कहा कि चार मई को हुई एक घटना के लिए 26 जुलाई की तारीख वाली प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन्होंने कहा कि एक या दो मामलों को छोड़कर अन्य मामलों में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है? जांच बहुत सुस्त है। एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई है, कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पिछले दो महीनों से क्या स्थिति पीड़ितों के बयान दर्ज करने के लिए भी अनुकूल नहीं है? बेंच ने कहा कि राज्य पुलिस जांच करने में अक्षम है। उन्होंने नियंत्रण खो दिया है। कानून व्यवस्था बिल्कुल नहीं है… मणिपुर में पिछले दो महीनों से संवैधानिक तंत्र पूरी तरह चरमरा गया है। सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को सूचित किया कि 6,523 प्राथमिकियों के संबंध में अब तक 252 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।