भाजपा ने उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से तीन के लिए तो अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है, लेकिन हरिद्वार व पौड़ी सीट पर प्रत्याशी चयन को उसे मशक्कत करनी पड़ रही है। समझा जा रहा है कि क्षेत्रीय और जातीय संतुलन के पेच में ये सीटें फंसी हैं। ऐसे में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व यहां किसे प्रत्याशी बनाएगा, इसे लेकर सभी दिल्ली की ओर टकटकी लगाए हुए हैं।
उत्तराखंड से पांचों लोकसभा सीटों के लिए 55 दावेदारों का पैनल केंद्रीय नेतृत्व को भेजा गया था। इन पर पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में चर्चा हो चुकी है। ऐसे में माना जा रहा था कि शनिवार को राज्य की सभी सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएंगे, लेकिन भाजपा ने केवल तीन सीट पर ही अपने पत्ते खोले। टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल-ऊधम सिंह नगर के लिए वर्तमान सांसदों को ही उम्मीदवार बनाया गया है।
ऐसे में राजनीतिक गलियारों में हरिद्वार व पौड़ी संसदीय सीटों के प्रत्याशियों को लेकर चर्चा होना स्वाभाविक है। इसमें जातीय संतुलन पर अधिक चर्चा हो रही है। असल में नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से ब्राह्मण और अल्मोड़ा से अनुसूचित जाति के प्रत्याशी हैं। टिहरी सीट महिला प्रत्याशी के लिए यथावत रखी गई है। हरिद्वार सीट की बात करें तो वहां का प्रतिनिधित्व कर रहे सांसद ब्राह्मण हैं।
वहीं पौड़ी सीट से वर्तमान सांसद क्षत्रिय हैं। पौड़ी से दावेदारों के पैनल में एक बड़े नेता भी शामिल हैं, जो ब्राह्मण समाज से आते हैं। ऐसे में दोनों सीटों पर ब्राह्मण को प्रत्याशी बनाया जाता है तो यह संख्या तीन हो जाएगी। ऐसी ही स्थिति क्षत्रिय समाज से आने वाले प्रत्याशियों को लेकर भी होगी। यही नहीं, चर्चा है कि हरिद्वार से मैदानी मूल के व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने की मांग भी उठी है।
समझा जा रहा है कि इन्हीं सब उलझनों को देखते हुए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने इन दोनों सीटों को होल्ड पर रखा है। छह अथवा सात मार्च को संभावित केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में इन दोनों सीटों के लिए फिर से चर्चा हो सकती है। यहां पार्टी पुराने चेहरों ही भरोसा रखेगी या नए चेहरे लेकर आएगी, इसे लेकर धड़कनें भी बढ़ गई हैं। बहरहाल, जब तक इन सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा नहीं होती, तब तक ये चर्चा के केंद्र में तो रहेंगी ही।