उपमंडल के अधिकांश जंगल वनाग्नि की भेंट चढ़ गए हैं। अकूत वन संपदा के साथ जैव विविधता भी प्रभावित हुई है।जंगल की आग ने अब दूनागिरी पर्वत श्रृंखला के बहुपयोगी जंगलों को अपनी चपेट में ले लिया है।वहीं रानीखेत के निकटवर्ती क्षेत्रों में भी दावानल बेकाबू होते जा रही है। वनाग्नि ने रानीखेत के निकटवर्ती भड़गांव क्षेत्र के जंगलों को स्वाहा कर दिया है। उधर द्वाराहाट के बजोड़, भक्तोला, मेहलखाई, जाबर आदि जंगलों को खाक कर आग दूनागिरी मंदिर के समीपवर्ती जंगल को अपनी चपेट में ले लिया है। जंगल की आग हवा के तेज झोंकों के साथ आगर, नट्टागुल्ली की ओर बढ़ रही है।
ग्रामीणों के अनुसार करीब 10 दिनों से जल रहे जंगलों में अकूत वन संपदा तो जलकर राख हो ही चुकी। साथ ही पानी के स्रोतों पर भी गंभीर संकट आ चुका है। धधकते जंगलों को बचाने के नाकाफी प्रयासों पर ग्रामीणों में विभाग के खिलाफ रोष है। जिला पंचायत सदस्य लता रौतेला ने विभाग पर आग बुझाने के नाम पर महज खानापूर्ति करने का आरोप लगाया।इधर विभाग की मानें तो ग्रामीणों की लापरवाही के कारण आग की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। दूनागिरी क्षेत्र के जंगलों में आग केदारनाथ डिविजन के नोवा रेंज से आई है।
चौखुटिया क्षेत्र के जंगलों में आग लगने की घटनाएं थम नहीं रही हैं। अनेक जंगलों में आग धधक रही है। इससे वनसंपदा को भारी नुकसान हो रहा है। मंगलवार की सुबह फिर गोदी से लगे जंगल में आग लग गई, जो धीरे-धीरे बढ़ती रही। आग ने पूरे जंगल को अपने चपेट में ले लिया तथा दोपहर बाद बरलगांव के जंगल की ओर बढ़ गई।बीते सोमवार को रात के समय कई अन्य क्षेत्रों में भी आग की लपटें देखी गईं। हालांकि कुछ जंगलों की आग बुझ गई है। लोगों का मानना है कि इस बार अप्रैल महीने में ही अधिकांश जंगल जल चुके हैं। कहीं-कहीं तो दो-दो बार आग लग गई है। संसाधनों की कमी के चलते आग पर काबू पाने में वन विभाग के प्रयास भी विफल रहे हैं।