धधक रहे जंगल, पिछले साल के मुकाबले कुमाऊं और गढ़वाल दोनों मंडलों में दोगुने जंगल जले

उत्तराखंड के जंगलों में आग का दायरा लगातार बढ़ने के बाद वायुसेना के हेलीकाप्टर और एनडीआरएफ के जवान भी मदद में जुट चुके हैं, मगर मौसम का साथ नहीं मिलने से वन विभाग के लिए चुनौतियां बरकरार है। वहीं, पिछले साल से तुलना करने पर पता चलता है कि इस बार हरियाली को दोगुने से ज्यादा नुकसान तो हो चुका है।

एक नवंबर 2022 से 29 अप्रैल 2023 तक उत्तराखंड में 372 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया था, जबकि नवंबर 2023 से 29 अप्रैल 2024 तक यह दायरा 814 हेक्टेयर को पार कर चुका है। अगले डेढ़ माह में परेशानी और बढ़ सकती है, क्योंकि मानसून तो 15 जून के बाद ही आएगा।

पंचायत के अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि गांवों में खुली बैठक कर लोगों को समझाएं कि किसी हाल में खुले में कूड़े न जलाएं। कई बार यह जलता हुआ कूड़ा भी जंगल में आग की वजह बनता है। हालांकि, इन तमाम प्रयासों के बावजूद कुमाऊं, गढ़वाल और वन्यजीव विहार से जुड़े जंगलों में आग की घटनाओं संग नुकसान का दायरा काफी बढ़ चुका है।29 अप्रैल 2023 को स्थिति

  1. गढ़वाल में 96 घटनाओं में 123.8 हेक्टेयर नुकसान
  2. कुमाऊं में 160 मामलों में 191 हेक्टेयर जंगल जला
  3. वन्यजीव क्षेत्र के 31 मामलों में 57.3 हेक्टेयर नुकसान

29 अप्रैल 2024 को स्थिति

  • गढ़वाल: 236 घटनाओं में 267.825 हेक्टेयर जंगल जला
  • कुमाऊं में 363 मामलों में 480.75 हेक्टेयर जंगल जला
  • वन्यजीव क्षेत्र के 54 मामलों में 65.52 हेक्टेयर नुकसान

अमृतपुर मोड़ पर हाईवे किनारे जंगल जला, सलड़ी तक धुआं

सोमवार को हल्द्वानी से भीमताल रोड पर अमृतपुर मोड़ से कुछ आगे हाईवे किनारे जंगलों में आग लगी हुई थी। यहां से गुजरने वाले वाहनचालकों को भी तपिश का सामना करना पड़ रहा था। सलड़ी क्षेत्र में आसमान में आग से उठ रहा धुआं साफ नजर आ रहा था। हालांकि, सूचना पर वनकर्मी भी कुछ देर बाद प्रभावित इलाकों में पहुंच गए थे।

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