देशभर में सात चरणों के दौरान हुए मतदान के बाद सभी की नजरें 4 जून के नतीजों पर टिकी हुई है। उत्तराखंड में मजह पांंच ही लोकसभा सीटें हैं, लेकिन यहां के नेताओं ने राष्ट्रीय राजनीति में हमेशा अहम रोल निभाया है।गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश की सबसे विषम और सबसे बड़ी सीट समझी जाती है। इस सीट पर भाजपा की ओर से राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी और कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल आमने-सामने हैं। इस सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के मध्य ही था।
केंद्र में अनिल बलूनी का कद काफी ऊंचा है। वह उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य तो हैं ही, साथ में पार्टी में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी का महत्वपूर्ण पदभार भी संभाल रहे हैं।
कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल इस लोकसभा क्षेत्र में 2019 से सक्रिय हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए गोदियाल ने इस क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के साथ मधुर संबंध स्थापित किए हैं। वह इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत श्रीनगर विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं।उत्तराखंड की पांचों सीट पर पहले चरण 19 अप्रैल को मतदान हुआ था। गढ़वाल सीट पर चुनावी दंगल में भाग्य आजमा रहे 13 प्रत्याशियों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, उत्तराखंड क्रांति दल, बहुजन समाज पार्टी, अखिल भारतीय परिवार पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी, उत्तराखंड समानता पार्टी, सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर आफ इंडिया (कम्युनिस्ट), सैनिक समाज पार्टी के साथ ही चार निर्दलीय भी सम्मिलित थे।
1951 के पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट का नाम गढ़वाल डिस्ट्रिक्ट (ईस्ट) कम मुरादाबाद डिस्ट्रिक्ट (नार्थ ईस्ट) हुआ करता था। 1977, 1980 व 1989 को छोड़ यह सीट भाजपा और कांग्रेस के ही पास रही। शुरूआती दौर में जहां कांग्रेस के टिकट पर भक्तदर्शन लगातार चार बार इस सीट से सांसद रहे, वहीं 11वीं, 12वीं, 13वीं व 14वीं लोकसभा के चुनाव में मे.जनरल बीसी खंडूड़ी ने इस सीट पर जीत हासिल की।
37 वर्षों तक यह सीट कांग्रेस और 28 वर्ष तक भाजपा के पास रही। वर्ष 1977 में पहली बार यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकली और जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा जीते। वर्ष 1980 में जनता पार्टी-सेक्यूलर में आए हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत हासिल की और वर्ष 1989 में कांग्रेस छोड़ जनता दल में आए चंद्रमोहन सिंह नेगी ने जीत हासिल की।
गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में में सैन्य परिवारों से जुड़ा बड़ा तबका है और सैन्य परिवारों से जुड़ा यह तबका चुनाव में निर्णायक भूमिका में होता है। यहां 86 प्रतिशत हिंदू, आठ प्रतिशत मुस्लिम, चार प्रतिशत सिख व दो प्रतिशत ईसाई मतदाता हैं। संसदीय सीट के सामाजिक समीकरण पर नजर डालें तो 46 प्रतिशत ठाकुर, 26 प्रतिशत ब्राह्मण, आठ प्रतिशत एससी-एसटी व ओबीसी और छह प्रतिशत वैश्य व अन्य हैं।
गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र की कुल 14 विधानसभा सीटों में से सर्वाधिक 13 भाजपा के पास रही हैं। लोकसभा चुनाव के अवसर पर कांग्रेस के एकमात्र विधायक राजेंद्र भंडारी ने भाजपा का दामन थामा। गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र में नगर निकायों में कांग्रेस की स्थिति भी मजबूत रही है। इस क्षेत्र के अंतर्गत सर्वाधिक मतदाता वाले रामनगर, श्रीनगर व कोटद्वार विधानसभा क्षेत्रों में नगर निकायों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है।
मतदाताओं की स्थिति
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- कुल-13,69,388
- महिला-6,69,964
- पुरुष-6,99,408
पिछले लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत
- भाजपा, 68.25
- कांग्रेस, 27.50
- अन्य, 4.25