हाई कोर्ट ने अब तक राज्य सरकार की ओर से नगर पालिका, नगर निगम व नगर पंचायतों के बोर्ड का कार्यकाल खत्म होने के छह माह बाद भी चुनाव नहीं कराए जाने के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई की।वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सरकार को अवमानना का नोटिस जारी करते हुए अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। अवमानना याचिका में प्रमुख सचिव शहरी विकास आरके सुधांशु व निदेशक शहरी विकास नितिन भदौरिया को पक्षकार बनाया गया है।
नोटिस का तीन सप्ताह में जवाब देने को कहा है। इस दौरान सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कुछ वजहों से प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह और बढ़ाना पड़ा। बताया जाता है कि सरकार की ओर से इस मामले में जल्द ही कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया जाएगा। नैनीताल निवासी राजीव लोचन साह ने अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया।राज्य सरकार की ओर से दो बार कोर्ट में अपना बयान देकर कहा था कि दो जून 2024 तक निकायों के चुनाव करा लिए जाएंगे लेकिन अभी तक राज्य सरकार ने न तो चुनाव कराए, ना ही कोर्ट के आदेशों का पालन किया। यह एक संविधानिक संकट है। देश का संविधान इसकी अनुमति नहीं देता।
अगर किसी वजह से राज्य सरकार तय समय के भीतर चुनाव नहीं करा पाती उस स्थिति में केवल छह माह के लिए प्रशासकों नियुक्त की जा सकती है। उस दौरान चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न हो जाने चाहिए लेकिन राज्य सरकार ने चुनाव कराने के बजाय प्रशासकों का कार्यकाल तीन माह और बढ़ा दिया, जो हाई कोर्ट के आदेश, संविधान व राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में दिए गए अपने दिए गए बयान के विरुद्ध है, इसलिए सरकार पर अवमानना की कार्रवाई की जाए।
पूर्व में दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया था कि नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर माह में समाप्त हो गया है, लेकिन सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नहीं किया। उल्टा निकायों में प्रशासकों की तैनाती कर दी। जिससे आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि निकायों के चुनाव कराने हेतु सरकार को याद दिलाने के लिए पूर्व से ही एक जनहित याचिका कोर्ट में विचाराधीन है।सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासक नियुक्त करे, प्रशासक तब नियुक्त किया जाता है, जब कोई निकाय भंग की जाती है। उस स्थिति में भी सरकार को छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। लोक सभा व विधान सभा के चुनाव निर्धारित तय समय में होते हैं, लेकिन निकायों के तय समय में क्यों नहीं।