शत्रु संपत्तियों पर प्रशासन सख्त, काबुल के जमीदारों से जुड़ी जमीनों पर फंसा पेंच

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने जिला प्रशासन को देहरादून में सभी शत्रु संपत्तियों को कब्जेदारों से मुक्त कराकर उन्हें सरकारी जमीन घोषित कराने के आदेश दिए हैं। जिला प्रशासन भी सख्ती से जमीनों को मुक्त करा रहा है, लेकिन सबसे बड़ा पेंच काबुल के जमीदारों से जुड़ी जमीनों को लेकर फंसा है।दरअसल काबुल के ये जमींदार वर्ष 1879 में देहरादून आकर बस गए थे, लेकिन बंटवारे के बाद अपनी हजारों बीघा जमीन को छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे। अब जब दून में जमीनों की कीमतें आसमान छू रही हैं तब देहरादून और सहारनपुर के कुछ लोगों ने खुद को काबुल के जमीदारों का रिश्तेदार बताकर इन जमीनों पर अपना दावा ठोक दिया है, लेकिन प्रशासन का मानना है कि यह सभी शत्रु संपत्ति हैं और अब प्रशासन इन पर कब्जे की रणनीति बना रहा है।

प्रशासन खंगाल रहा रिश्तेदार असली या नकली
जिले में फर्जी दस्तावेजों और नकली स्टांप पेपरों से जमीनों पर हुए कब्जे के मामले सामने आने के बाद प्रशासन अब हर मामले को संदिग्ध नजर से देख रहा है। ऐसे में काबुल के जमींदारों की जमीनों पर जो दावे किए जा रहे हैं, प्रशासन उनकी पड़ताल कर रहा है, ताकि पता चल सके कि दावा असली है नकली।

दून में है अरबों रुपये की शत्रु संपत्ति
दरअसल राज्य सरकार शत्रु संपत्तियों को कब्जा मुक्त कराने का अभियान चला रही है। केंद्र सरकार भी शत्रु संपत्तियों को लेकर गंभीर है। खुद गृह मंत्रालय भी लगातार इस पर नजर रखे हैं। देहरादून में भी अरबों रुपये कीमत की शत्रु संपत्ति है। यह संपत्ति दिलाराम, सर्वे चौक, कमिश्नरी कार्यालय, ईसी रोड, आईएसबीटी के पास, राजपुर रोड, मसूरी, माजरा, चकराता में है। सरकार सालों की कोशिश के बाद भी इस पर कब्जा नहीं ले सकी है। इन जमीनों पर लोगों ने अवैध कब्जे किए हुए हैं।

हेराफेरी कर सरकारी दस्तावेजों में चढ़ाने की सूचना
अब फर्जी रजिस्ट्री और स्टांप घोटालों की जांच में जुटे प्रशासन को ऐसी जमीनों को हेराफेरी कर सरकारी दस्तावेजों में चढ़ाने की जानकारी मिली है। इसकी जांच की जा रही है। इससे पहले भी एक तहसीलदार की भूमिका ऐसे मामले में संदिग्ध पाई जा चुकी है, उस समय शत्रु संपत्तियों को नगर निगम के दस्तावेजों में चढ़ाने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन ऐसा करने से पहले ही इसे रोक लिया गया था।

क्या होती है शत्रु संपत्ति
देश का बंटवारा होने के बाद पाकिस्तान गए लोगों की भारत में रह गई संपत्ति को शत्रु संपत्ति कहते हैं। गृह मंत्रालय इस संपत्ति की देखरेख कराता है। वर्ष 2016 से मोदी सरकार ने इन संपत्तियों पर कब्जे लेने शुरू कराए।

शत्रु संपत्तियों को लेकर जिला प्रशासन लगातार काम कर रहा है, चिह्नित जमीनों पर कब्जे लिए जा रहे हैं, कई मामले एडीएम प्रशासन के कोर्ट में लंबित हैं, उन पर सुनवाई चल रही है, जल्द फैसला आते ही ऐसी जमीनों पर कब्जा लिया जाएगा, शेष जमीनों पर कब्जे की प्रक्रिया चल रही है।

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