मूल निवास – भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने मूल निवास 1950 और सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर देहरादून के शहीद स्मारक से ऋषिकेश त्रिवेणी घाट तक स्वाभिमान पद यात्रा निकाली। करीब 45 किमी तक युवा पैदल चले।
मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी के नेतृत्व में निकली इस पदयात्रा में 29 सितंबर को ऋषिकेश में होने जा रही स्वाभिमान महरैली को लेकर जनजागरूकता अभियान चलाया गया। ऋषिकेश के त्रिवेणीघाट में पदयात्रियों ने गंगाजल हाथ में लेकर संकल्प लिया कि वह अंतिम सांस तक मूल निवास और भू-कानून के लिए लड़ते रहेंगे।
संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि अपने ही राज्य में मूल निवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया है। यहां की संस्कृति, संसाधन, रोजगार, जमीनों पर बाहरी ताकतें कब्जा जमा रही है। अपराधियों द्वारा सरेआम मूल निवासियों को मारा जा रहा है। ड्रग्स का कारोबार तेजी से फैल रहा है और इसकी गिरफ्त में हमारी युवा पीढ़ी आ रही है। यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा, जिस दिन हमारा अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
मोहित डिमरी ने कहा कि आज मूल निवासियों को एक होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। बाहरी ताकतें हमें कमजोर समझ रही है। हमारी जमीनों पर बाहर के लोग कारोबार कर रहे हैं और हमारे लोग वहां नौकर या चौकीदार बन रहे हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मूल निवासियों को सरकारी और प्राइवेट नौकरी के साथ ही सरकारी योजनाओं में 90 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। राज्य में कितने मूल निवासी हैं, इसका सर्वेक्षण भी होना चाहिए।