राजनीतिक माहौल के इतर दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया काकड़ीघाट धाम स्थित युग पुरुष की तपस्थली पहुंचे। उन्होंने कत्यूरकालीन महादेव व भैरव मंदिर में शीश नवाया। जिस ज्ञानवृक्ष की छांव में ध्यान लगा स्वामी विवेकानंद को ज्ञान प्राप्त हुआ, उसके दर्शन किए। कुछ देर ध्यान भी लगाया।
सिसोदिया ने किसी भी राजनीतिक घटनाक्रम पर चर्चा से किनारा करते हुए साफ किया कि आध्यात्मकि यात्रा में केवल अध्यात्म की ही अनुभूति हो रही है। लिहाजा बात भी अध्यात्म पर ही करेंगे। कहा कि इस दिव्य धरा पर पूरा जीवन भी बिताया जाय तो वह भी कम है।
17 माह बाद जेल से हुए थे रिहा
दिल्ली सरकार में उच्च शिक्षा समेत तमाम विभागों के मंत्री और उपमुख्यमंत्री रहे सिसोदिया बीते माह भ्रष्टाचार मामले में 17 माह बाद जेल से रिहा हुए थे। रविवार को वह जीवनदायिनी कोसी व सिरौता के संगम पर काकड़ीघाट पहुंचे। केंद्र सरकार पर तीखे प्रहार करने वाले सिसोदिया महादेव की भूमि व युगनायक स्वामी विवेकानंद की तपस्थली पर जुदा अंदाज में नजर आए।
चेहरे की चमक बता रही थी कि दिल्ली के राजनीतिक माहौल से दूर अध्यात्म से लबरेज पर्वतीय वादी उन्हें मानसिक सुकून दे रही। उन्होंने माना भी कि यहां की सकारात्मक तरंगें उन्हें मानसिक शांति दे रही है। मौजूदा राजनीतिक माहौल और उनकी अगली रणनीति के जवाबी सवाल पर आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सिसोदिया ने कहा कि वह आध्यात्मिक यात्रा पर आए हैं। वह देवभूमि के ऐसे स्थल पर पहुंचे हैं जहां उन्हें स्वयं अध्यात्म की अनुभूति हो रही है।
ज्ञान वृक्ष पर चर्चा, पुस्तक भी भेंट की
दिल्ली के पूर्व उप सीएम सिसोदिया ने विवेकानंद सेवा समिति अध्यक्ष हरीश चंद्र सिंह परिहार के साथ ज्ञान वृक्ष पर चर्चा की। परिहार ने बताया कि हिमालय पदयात्रा के दौरान युगपुरुष ने पीपल वृक्ष की छांव में ध्यान लगा ज्ञान प्राप्त किया था। वर्तमान पेड़ उसी पीपलवृक्ष के क्लोन हैं।कोसी मछलियों को दाना देने के बाद वह ध्यान केंद्र में भी बैठे। दोबारा काकड़ीघाट आने की बात कही। समिति अध्यक्ष ने उन्हें ज्ञान वृक्ष का पुनरोत्थान पुस्तक भेंट की। इससे पूर्व सिसोदिया की आवभगत की गई। इस दौरान पुजारी ललित नैनवाल, ग्राम प्रधान नौगांव अनिल प्रकाश, रवि अग्रवाल, प्रेम सिंह खनायत, पूरन सिंह आदि मौजूद रहे।