11 साल से बिना फिटनेस दौड़ रहा था ‘यमदूत’ कंटेनर, जांच में सामने आया चौंकाने वाला सच

शहर के सात युवाओं की इनोवा कार के सामने ‘यमदूत’ बनकर आया कंटेनर वर्ष 2013 से बगैर फिटनेस प्रमाणपत्र के सड़क पर दौड़ रहा था। गुरुग्राम (हरियाणा) संभागीय परिवहन कार्यालय में पंजीकृत यह कंटेनर सोमवार देर रात करीब डेढ़ बजे दुर्घटना के समय भूमिगत गैस पाइप लाइन में उपयोग की जाने वाली होरिजेंटल डायरेक्शनल ड्रिलिंग मशीन को किशननगर चौक से कौलागढ़ ले जा रहा था।इस हादसे में छह युवाओं की मौत हो गई थी, जबकि एक गंभीर रूप से घायल है। पुलिस ने जब उसका पंजीयन नंबर निकाला तो कंटेनर का पूरा इतिहास सामने आ गया। स्थिति तो यह है कि सिर्फ फिटनेस ही नहीं, कंटेनर का बीमा, रोड टैक्स और आल इंडिया परमिट तक वर्ष 2015 में खत्म हो चुका है।

भयावह दुर्घटना के कई कारण

सोमवार की देर रात ओएनजीसी चौक पर हुई भयावह दुर्घटना के कई कारण सामने आ चुके हैं, जिनमें बेलगाम गति, दूसरी कार से रफ्तार की होड़ और पुलिस की रात्रि चेकिंग में लापरवाही आदि। …लेकिन इस दुर्घटना में एक अहम कारण वह कंटेनर भी है, जो बेलगाम गति से दौड़ रही युवाओं की इनोवा कार के सामने आ गया। दुर्घटना के बाद चालक कंटेनर को स्टार्ट स्थिति में छोड़कर फरार हो गया था।

कंटेनर पर आगे-पीछे पंजीयन नंबर प्लेट भी नहीं लगी थी और वह ऐसा प्रतीत हो रहा था कि कई दिनों से एक ही जगह पर खड़ा था। पुलिस ने बुधवार को चेसिस नंबर के आधार पर कंटेनर का पंजीयन नंबर निकाला तो (एचआर-55-जे-4348) सामने आया। एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि कंटेनर गुरुग्राम (हरियाणा) में बीआरसी लाजिस्टिक प्राइवेट लिमि. फर्म के नाम पर पंजीकृत है।

यह देहरादून में भूमिगत गैस पाइप-लाइन बिछाने के लिए चल रहे कार्य में लगी होरिजेंटल डायरेक्शनल ड्रिलिंग मशीन को चकराता रोड से किशननगर चौक होकर ओएनजीसी चौक होते हुए कौलागढ़ की ओर जा रहा था। एसएसपी ने बताया कि संबंधित फर्म को नोटिस भेजकर देहरादून बुलाया गया है। फर्म के पदाधिकारियों के आने के बाद पता चलेगा कि कंटेनर कौन चालक चला रहा था।

वर्ष 2013 में फिटनेस, 2015 में परमिट समाप्त

पुलिस की जांच में सामने आया कि कंटेनर (एचआर-55-जे-4348) गुरुग्राम आरटीओ कार्यालय में पंजीकृत हुआ था। इसका फिटनेस प्रमाण-पत्र 16 अगस्त-2013 को समाप्त हो गया, जबकि नेशनल परमिट 10 अगस्त-2015 को समाप्त हो गया था। कंटेनर का परिवहन विभाग का टैक्स 31 मार्च-2015 और बीमा 31 मार्च-2015 को खत्म हो चुका था।कंटेनर के चालक साइड का फ्रंट शीशा भी टूटा हुआ था। उसकी बाडी पर कहीं भी रिफ्लेक्टर नहीं लगे हुए थे और न ही साइड इंडिकेटर एवं बैक-लाइट काम कर रही थी। पुलिस यह भी पता लगा रही कि कंटेनर मशीन लेकर देहरादून कब आया था, कहां से आया था व उसका मार्ग क्या था।

कंटेनर की गति को नहीं भांप पाए युवा

दुर्घटना के समय कंटेनर ओएनजीसी चौक पर कौलागढ़ की ओर जा रहा था, जबकि इनोवा कार बल्लूपुर की ओर से ओएनजीसी चौक आ रही थी। कंटेनर में इनोवा कार परिचालक साइड सबसे पीछे सीधे सामने से जा घुसी और फिर विपरीत दिशा में घिसटती हुई पेड़ से जा टकराई।आरटीओ (प्रवर्तन) शैलेश तिवारी ने बताया कि इनोवा कार सवार युवाओं को संभवत: ऐसा लगा होगा कि जब तक वह चौक पर पहुंचेंगे, कंटेनर चौक को पार कर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। धीमी गति के कारण कंटेनर चौक पार नहीं कर पाया और कार की गति नियंत्रण से बाहर होने के कारण दुर्घटना हो गई।

इसलिए परिवहन विभाग डाल रहा था ‘पर्दा’

मंगलवार सुबह देहरादून संभागीय परिवहन कार्यालय व सड़क सुरक्षा की तकनीकी टीम ने कैंट कोतवाली में खड़े कंटेनर की तकनीकी जांच की थी। इसके 40 घंटे बाद भी परिवहन विभाग इस कंटेनर के सच पर ‘पर्दा’ डालता रहा।निरीक्षण टीम में शामिल रहे तमाम परिवहन अधिकारी बुधवार रात तक भी यह दावा करते रहे कि कंटेनर का पंजीयन नंबर अभी नहीं मिला है और न ही यह पता चला है कि कंटेनर के भीतर कोई सामान था या नहीं। परिवहन अधिकारी तो कंटेनर का चेसिस नंबर भी स्पष्ट पढ़ने में आने से इनकार करते रहे। बिना फिटनेस व टैक्स के दौड़ रहे कंटेनर की जिम्मेदारी से बचने के लिए संभवत: ऐसा किया गया।

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