राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह का दो साल का कार्यकाल पूरा, अनुभवों और कार्यों के साथ कहीं ये बड़ी बातें

उत्तराखंड के आठवें राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह शुक्रवार को अपने कार्यकाल के दो साल पूरे हो गए हैं। इन दो वर्षों के दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जवाबदेही, स्वायत्तता और पारदर्शी व्यवस्था के लिए कई अभिनव पहल की। सांविधानिक मर्यादाओं और दायित्वों की सीमा में रहते हुए समय-समय पर उन्होंने सरकार को अपना मार्गदर्शन प्रदान किया।विशेष बातचीत में उन्होंने अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान अनुभवों और कार्यों को साझा किया।

ड्रग्स के खिलाफ चलेगा जागरूकता अभियान

राज्यपाल ने प्रदेश में ड्रग्स बढ़ते खतरे पर गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि छात्रों और युवाओं को ड्रग्स से बचाने के लिए प्रदेश में जागरूकता अभियान में तेजी लाई जाएगी। इसके लिए सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जागरूकता के लिए विशेष कार्यक्रम संचालित किए जाएंगे।राजभवन में स्मार्ट ऑटोमेशन सिस्टम बनेगा

राज्यपाल की पहल पर राजभवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित स्मार्ट ऑटोमेशन सिस्टम बनाया जा रहा है। पहले चरण में ऑनलाइन गेट पास और ई-इंविटशन सिस्ट शुरू होगा। राजभवन आने वाले कहीं से भी ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे।

तीन विवि में कोचिंग सेंटर शुरू होंगे

राज्यपाल के निर्देश पर संघ लोक सेवा आयोग व अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं की तैयारी के लिए दून विवि, गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि पतंनगर और श्रीदेव सुमन विवि ऋषिकेश कैंप में कोचिंग सेंटर शुरू किए जाएंगे। इसमें लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को वरीयता दी जाएगी।

सरकारी, निजी विश्वविद्यालयों पर पैनी नजर

उन्होंने सरकारी और निजी विवि के लिए यूनिवर्सिटी कनेक्ट उत्तराखंड और यूनिसंगम दो एप्लीकेशन तैयार कराएं, जिनके माध्यम से वे उनकी मॉनिटरिंग करते हैं। विवि की कार्यकारिणी परिषद की बैठकों और साक्षात्कारों की वीडियो रिकार्डिंग की परंपरा शुरू करके विवि की जवाबदेही और स्वायत्तता सुनिश्चित हुई। कॉलेजों की संबद्धता के लिए उत्तराखंड कॉलेज एफिलिएशन पोर्टल शुरू किया है।

ऑनलाइन नौ लाख से अधिक अध्ययन सामग्री

श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि के ईआरपी पोर्टल शुरू कराया, जिसकी मदद से छात्र-छात्राओं को डिग्री, माइग्रेशन सर्टिफिकेट, प्रोविजिनल डिग्री ऑनलाइन मिल रही है। दून विवि में ई-लाइब्रेरी विकसित की गई, जिससे छात्र-छात्राओं और शिक्षकों को नौ लाख से अधिक अध्ययन सामग्री प्राप्त हो रही है।

20 वाइब्रेंट गांवों का दौरा किया

उन्होंने राज्य के 51 वाइब्रेंट गांवों में से 20 गांवों का दौरा किया और स्थानीय लोगों से मिले। मानसखंड मंदिर माला मिशन के तहत मंदिरों का भ्रमण कर वहां की अवस्थापना सुविधाओं और विकास की जानकारी ली।

राजभवन के दरवाजे सबके लिए खोले

राज्यपाल ने राजभवन के दरवाजे आमजन, सैनिकों और उनके आश्रितों के लिए खोल दिए। पदक विजेताओं, वीरांगनाओं और अक्षम पूर्व सैनिकों को अपाइंटमेंट लेने की जरूरत नहीं पड़ती। उनकी समस्याओं के समाधान के लिए शिकायत निवारण अधिकारी तैनात है। प्रशासनिक व्यवस्था, शोध कार्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम करने वालों के लिए राज्यपाल ने पुरस्कार देने की पहल शुरू की।

ये पहल भी कीं

– राजभवन परिसर में ग्रीन राजभवन के तहत 200 किलोलीटर पानी का संरक्षण बचत के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग शुरू किया।

– आध्यात्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक के रूप में नक्षत्र वाटिका स्थापित की।

– पांच सौ से अधिक बौनसाई पौधों का गार्डन तैयार कराया।

गेम चेंजर साबित होंगे विकास के पांच मंत्र

राज्यपाल ने कहा कि वे उत्तराखंड के विकास के लिए पांच मुख्य मंत्रों पर काम कर रहे हैं, ये मंत्र गेम चेंजर साबित होंगे। पहला रिवर्स पलायन का मंत्र है। इसके लिए हमें आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाकर रोजगार के नए अवसर पैदा करने हैं। दूसरा महिला और बेटियों का सशक्तिकरण का मंत्र है। महिलाएं उत्तराखंड की सबसे बड़ी ताकत है।

स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से वे जिस तरह कार्य कर रही हैं, वो उनकी और राज्य की आर्थिक उन्नति में बड़ा बदलाव लाएगा। तीसरा मंत्र आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व तकनीकी विकास का है। भौगोलिक कठिनाइयों वाले उत्तराखंड में इसके जरिये हम विकास का एक नया मुहावरा गढ़ सकते हैं।

जैविक एवं प्राकृतिक उत्पादों की पूरी दुनिया में डिमांड है। कुदरत ने उत्तराखंड को जैविक व प्राकृतिक खेती के लिए मुफीद वातावरण दिया है। पांचवां मंत्र आयुष, वेलनेस और आध्यात्मिक पर्यटन का है, जो उत्तराखंड के विकास में गेम चेंजर का काम कर सकता है।

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