अब घर बैठे करा सकेंगे Live In Relationship रजिस्ट्रेशन, पढ़ें पूरा प्रोसेस

उत्तराखंड स्वतंत्रता के बाद देश में समान नागरिक संहिता लागू करने वाला पहला राज्य बनने जा रहा है। कानून बनने के 10 माह 22 दिन की मशक्कत के बाद नियमावली को कैबिनेट में प्रस्तुत किया गया, जहां इसे स्वीकृति दी गई। राज्य में संहिता के 26 जनवरी को लागू होने की संभावना है।प्रदेश सरकार ने सभी नागरिकों को समान अधिकार देने के उद्देश्य से समान नागरिक संहिता कानून बनाया। आठ मार्च 2024 को सदन से इसे पारित किया गया। 12 मार्च को इसे राष्ट्रपति से मंजूरी प्राप्त हुई। 14 मार्च को सरकार ने इसकी नियमावली बनाने के लिए समिति का गठन किया।न्याय और विधायी विभाग से कई दौर के मंथन के बाद अब यह नियमावली अंतिम रूप ले चुकी है। 92 पन्नों की इस नियमावली में प्रदेश के सभी नागरिकों के विवाह, विवाह विच्छेद, उत्तराधिकार के अधिकार, लिव इन रिलेशनशिप व लिव इन रिलेशनशिप की समाप्ति का पंजीकरण करने की व्यवस्था बताई गई है। आवेदक ucc.uk.gov.in पर पंजीकरण कर सकेंगे।

लिव इन पर सहमति से समाप्त हो सकेगा पंजीकरण

लिव इन में साथ रहने वाले जोड़े आपसी सहमति से पंजीकरण निरस्त कर सकते हैं। यद्यपि इसमें एक साथी द्वारा समाप्ति के आवेदन पर दूसरे साथी की पुष्टि करना अनिवार्य किया गया है।

तीन स्तर पर बनेगी पंजीकरण की व्यवस्था

नियमावली में पंजीकरण के लिए तीन स्तर पर रजिस्ट्रार और सब रजिस्ट्रार की व्यवस्था की गई है। ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत विकास अधिकारी उप रजिस्ट्रार और एसडीएम स्तर के अधिकारी रजिस्ट्रार होंगे। नगर पालिका व पंचायतों में अधिशासी अधिकारी रजिस्ट्रार तो एसडीएम स्तर के अधिकारी रजिस्ट्रार होंगे। वहीं नगर निगमों में कर अधीक्षक सब रजिस्ट्रार और नगर आयुक्त रजिस्ट्रार की भूमिका में रहेंगे। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि आमजन स्थानीय स्तर पर ही पंजीकरण करा सकें।

अपील सुनने के लिए बनाए जाएंगे रजिस्ट्रार जनरल

इन सभी पंजीकरण संबंधी विषयों पर किसी भी प्रकार की शिकायत सुनने के लिए रजिस्ट्रार जनरल भी नियुक्त किए जाएंगे। इनके पास आमजन अपने विषयों की अपील कर सकेंगे। ये एक तय समय के भीतर अपील का निस्तारण करेंगे।

जल्द ही पंजीकरण शुल्क होगा तय

समान नागरिक संहिता में उल्लिखित विभिन्न कार्यों के पंजीकरण के लिए सरकार शुल्क भी तय कर रही है। इसकी दरों का निर्धारण किया जा रहा है। संहिता के लागू होने पर शुल्क की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी। सूत्रों की मानें तो यह शुल्क 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक होगा।

घर बैठे भी करा सकेंगे पंजीकरण

नागरिक घर बैठे अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर से भी इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें ucc.uk.gov.in पोर्टल पर जाकर पंजीकरण कराना होगा। इसके लिए वह आधार नंबर के आधार पर पंजीकरण करा सकते हैं।

सीएचसी से कराने पर 50 रुपये शुल्क

सरकार ने कामन सर्विस सेंटर (सीएचसी) के माध्यम से भी आमजन को यह सुविधा देने का निर्णय लिया है। सीएचसी के माध्यम से पंजीकरण कराने के आवेदक को 50 रुपये शुल्क देना होगा। पंजीकरण शुल्क अलग रहेगा। पर्वतीय व दूर दराज के क्षेत्रों में सीएचसी के एजेंट घर-घर जाकर नागरिकों को यह सुविधा उपलब्ध कराएंगे।

पोर्टल के माध्यम से भी दर्ज कर सकेंगे शिकायत

नियमावली में पोर्टल के माध्यम से शिकायतों का पंजीकरण करने की भी व्यवस्था की गई है। आमजन अपने पंजीकरण के आवेदन व शिकायतों को को ई-मेल व एसएमएस के माध्यम से भी ट्रेक कर सकते हैं।

आज होगी वेब पोर्टल की जांच को माक ड्रिल

समान नागरिक संहिता के लिए बनाए गए वेब पोर्टल की जांच के लिए मंगलवार को प्रदेश स्तर पर माकड्रिल का आयोजन किया जाएगा। इसमें रजिस्ट्रार व सब रजिस्ट्रार पोर्टल के माध्यम से अपने कार्यों की जांच करेंगे। सीएचसी के माध्यम से पंजीकरण के लिए आवेदन किए जाएंगे, जिन्हें सब रजिस्टार व रजिस्ट्रार स्तर से अनुमोदन दिया जाएगा। यह देखा जाएगा कि कहीं इसमें कोई दिक्कत तो नहीं आ रही है।

उत्तराधिकार पर चाहिए होंगे नाम, पता और गवाह

उत्तराधिकार के विषय पर पंजीकरण के लिए व्यवस्था सब रजिस्ट्रार कार्यालय के जरिये ही होगी। समान नागरिक संहिता का पोर्टल इसके पंजीकरण का जरिया होगा। इसमें सभी के नाम व पते के साथ ही गवाह का होना भी जरूरी होगा। पोर्टल में वसीयत को अपलोड कर आनलाइन पंजीकरण, संशोधन व रद करने की सुविधा भी दी गई है।

पंजीकरण के आंकड़े होंगे सार्वजनिक

समान नागरिक संहिता के तहत होने वाले सभी प्रकार के पंजीकरण के आंकड़े सार्वजनिक किए जाएंगे। इसमें कोई निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी। इसके लिए पहले संबंधित व्यक्ति की अनुमति जरूरी होगी।

तलाक के लिए कोर्ट का आदेश जरूरी

तलाक के मामलों का पंजीकरण भी अनिवार्य किया गया है। यद्यपि व्यवस्था यह की गई है कि बिना कोर्ट के आदेश के तलाक का पंजीकरण नहीं किया जाएगा।

पोर्टल को बनाया गया है सुरक्षित

प्रदेश में हुए साइबर हमले के बाद समान नागरिक संहिता के लिए बनाए गए पोर्टल को भी सुरक्षित बनाया गया है। यह पोर्टल क्लाउड बेस्ड है और इसमें डिजास्टर रिकवरी की भी व्यवस्था की गई है।

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