उत्तराखंड का जोशीमठ अब ज्योतिर्मठ भू धंसाव और दरारों की वजह से सुर्खियों में आया. जहां अब पुनर्निर्माण और पुनर्विस्थापन को लेकर राज्य व केंद्र सरकार की तमाम एजेंसियां काम कर रही हैं, वहीं ज्योतिर्मठ को लेकर चारधाम यात्रा से पहले आपदा प्रबंधन विभाग अलर्ट पर है. ज्योतिर्मठ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों को यात्रा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जा रहा है. लिहाजा, पुनर्निर्माण के कार्यों पर तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं.
बता दें कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में हर साल यात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है, तो वहीं बदरीनाथ धाम यात्रा के अहम पड़ाव जोशीमठ नगर जिसका अब सरकार ने नाम बदलकर ज्योर्तिमठ कर दिया है, यहां हिंदू धर्म के चार मठों में से उत्तर का महत्वपूर्ण ज्योर्तिमठ मौजूद है. इसके अलावा नृसिंह भगवान का मंदिर भी मौजूद है. लिहाजा, चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्री अक्सर ज्योतिर्मठ में ठहरते हैं. बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब का यात्रा रूट होने की वजह से ज्योतिर्मठ पर भी यात्रियों का दबाव बढ़ जाता है. ऐसे में संवेदनशील ज्योतिर्मठ को लेकर आपदा प्रबंधन विभाग लगातार मॉनिटरिंग कर रहा है.
आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि डीपीआर यानी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट अप्रूव होने के बाद 3 बार वो खुद भी ग्राउंड जीरो पर गए हैं. चरणबद्ध तरीके से जो पुनर्निर्माण होना है, उसको लेकर रणनीति तैयार की गई है.
दरअसल, साल 2022 के आखिर से उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ (अब ज्योतिर्मठ) में जमीनों में दरारें और भू धंसाव की खबरें आने लगी. यहां अचानक घरों पर दरारें पड़नी शुरू हो गई थी. कुछ समय बाद तो दरारें जमीन पर दिखने लगीं. सुरक्षा के मद्देनजर यहां दो बड़े होटलों को ध्वस्त किया गया.
काफी संख्या में लोग अपने आशियाने छोड़ने को मजबूर हो गए. जिन्हें राहत कैंप में शिफ्ट किया गया. ऐसा नहीं है कि ज्योतिर्मठ में ये स्थिति अचानक बनी थी, धीरे-धीरे ये सब हो रहा था, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इस पर काफी देर बाद ध्यान दिया. तब तक ज्योतिर्मठ का एक बड़ा हिस्सा भू धंसाव की चपेट में आ चुका था.