वनकर्मियों ने डंडे की जगह हाथों में थामा ड्रोन, अब ‘आसमान’ से करेंगे जंगलों की निगहबानी

वन और वन्यजीवों की सुरक्षा वन महकमे के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहती है, लेकिन अब वन महकमा जंगलों में हो रही तस्करी और वन्यजीवों की सुरक्षा के साथ वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए आसमान से निगहबानी करेगा. इसके लिए वन विभाग ड्रोन तकनीक का सहारा ले रहा है. लिहाजा, वन कर्मियों को ड्रोन चलाने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ताकि, जंगलों की सुरक्षा मैन्युअल के साथ ड्रोन के माध्यम से की जा सके.

बता दें कि कुमाऊं मंडल के सबसे बड़े वन क्षेत्र तराई पूर्वी वन प्रभाग का जंगल उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा से लगा हुआ है. इस वजह से जंगल की सुरक्षा करना वन विभाग के लिए बड़ी चुनौती होती है. जिसे देखते हुए वन विभाग ने ड्रोन तकनीकी का सहारा लिया है.

डीएफओ बागड़ी ने बताया कि ‘ड्रोन तकनीक के माध्यम से पहले जंगलों के प्रोजेक्ट को तैयार किया जाता था, लेकिन अब जंगलों की सुरक्षा में के लिए ड्रोन तकनीक को अपनाया गया है, जो कि कई मायनों में काफी हद तक कारगर साबित हो रहा है. इसको देखते हुए तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत पड़ने वाले सभी सब डिवीजन में जंगलों की सुरक्षा अब ड्रोन तकनीकी के माध्यम से की जाएगी.

उन्होंने कहा कि इस तकनीकी को बड़े स्तर पर प्रयोग में लाया जा रहा है, जिसके लिए वन कर्मियों को ड्रोन चलाने के लिए प्रशिक्षित भी किया जा रहा है. जंगलों में गश्त के दौरान कई बार देखा जाता है कि वन कर्मियों को जिस जगह पर पेट्रोलिंग करने की जरूरत है, वहां पर नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे में ड्रोन तकनीक मददगार होगी.

गौर हो कि जंगलों की सुरक्षा वनकर्मी डंडे और बंदूक से करते हैं. वन विभाग के पास जंगलों की सुरक्षा के लिए असलहा की भारी कमी है. ऐसे में ड्रोन तकनीक जंगलों की सुरक्षा के लिए बेहतर साबित हो सकती है.

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