उत्तरकाशी के सिलक्यारा में पिछले 8 दिनों से फंसे लोगों के परिजनों का भी बुरा हाल है। टनल में फंसे अपनों की चिंता में परिजनों का भी बुरा हाल है। किसी की मां तो किसी के पिता तो भाई-बहन को भी टनल में फंसे अपने परिजनों की चिंता सता रही है।
परिजनों की भूख तो बहुत दूर की बात है, बेबस परिजनों के गले से रोटी का एक टुकड़ा तक नीचे नहीं उतर रही है। उड़ीसा के किशोर नायब का भाई भी पिछले एक सप्ताह से सुरंग के अंदर फंसा है।
उसकी भाई से बातचीत तो हो गई, लेकिन चिंता के मारे उसे भूख नहीं लग रही। कहता है कि खाने पीने की इच्छा नहीं हो रही। बस भाई कैसे भी करके जिंदा बाहर निकल जाए, अब इसी वक्त का इंतजार है। किशोर रविवार को सिलक्यारा घटनास्थल पहुंचा।
प्रशासन की ओर से गई व्यवस्था के तहत कमरे के एक कोने में गुमशुम बैठा किशोर से भाई का हाल पूछा तो उसका गला रूंध गया। किसी ने खाने के लिए पूछा तो उसने साफ मना कर दिया। कहता है कि खाने पीने की इच्छा नहीं है।
मुझे भाई की चिंता है। जब से भाई के अंदर फंसे होने की सूचना मिली है नींद भी गायब हो गई है। हालांकि, बीती शाम भाई से पाइप से बातचीत हुई और उसने कहा कि वह ठीक है।