मजदूरों के बाहर आने के लिए टाइमलाइन देना गलत, अधिकारी ने क्यों दिया ऐसा बयान?

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 11 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बचाने के काम में गुरुवार  को फिर से रुकावट आ गई। दरअसल जिस प्लेटफॉर्म पर ड्रिलिंग मशीन टिकी हुई है, उसमें दरारें दिखने के बाद ड्रिलिंग रोक दी गई।वहीं बताया जा रहा है कि रेस्क्यू ऑपरेशन आज 9 बजे के आसपास फिर शुरू होगा। अधिकारियों का मानना है कि ये पूरा ऑपरेशन आज-आज में पूरा हो जाएगा, हालांकि उनका कहना ये भी है कि ये रेस्क्यू ऑपरेशन एक जंग की तरह है और इसके लिए कोई टाइमलाइन देना ठीक नहीं है।

इसके पीछे की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि एक समयसीमा देने से उन लोगों पर बहुत प्रेशन बनता है जो दिन रात मुश्किल परिस्थितियों में रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हुए हैं।  राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा, कई विशेषज्ञ राय दे रहे हैं कि मजदूरों को आज शाम, कल सुबह बचाया जा सकता है, लेकिन याद रखें कि ये ऑपरेशन एक युद्ध की तरह हैं। इन ऑपरेशनों को समयरेखा नहीं दी जानी चाहिए। युद्ध में, हम नहीं जानते कि दुश्मन कैसे प्रतिक्रिया देगा। सुरंग किस एंगल से गिरी है, हमें नहीं पता।

उन्होंने आगे कहा, फंसे हुए लोगों के साथ-साथ बचावकर्मियों की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है और ऑपरेशन को एक समय सीमा के भीतर सीमित करना गलत होगा। यह चुनौतीपूर्ण काम है। यह उम्मीद करते रहना कि अगले दो घंटों में बचाव कर लिया जाएगा, कार्यबल पर दबाव डालता है। यह गलत है।

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