उत्तराखंड में गेहूं की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशिष्ट, खरपतवार आदि को जलाने पर रोक लगा दी गई। यह रोक सात दिन तक प्रभावी रहेगी। रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य सचिव को इस बाबत कार्रवाई के निर्देश दिए।
प्रदेश में वनाग्नि को देखते हुए यह निर्णय किया गया है। गेहूं की कटाई के बाद खेत में बचे उनके ठूंठों को जलाने के लिए कई स्थानों पर आग लगाई जाती है। मुख्यमंत्री ने रविवार को दिल्ली से अधिकारियों के साथ वनाग्नि की स्थिति और नियंत्रण की कार्रवाई की समीक्षा की। उन्होंने मुख्य सचिव को कहा कि वे सभी डीएम को एक सप्ताह तक वनाग्नि और उसके नियत्रंण कार्यों की स्वयं निगरानी करने के निर्देश जारी करें।
मुख्यमंत्री ने खेतों में बचे अवशिष्ट, खरपतवार आदि जलाने पर प्रतिबंध के साथ ही शहरी निकायों को भी वन या वनों के आसपास ठोस कूडे़ के जलाने पर पाबंदी लगाने को कहा है। इस प्रकार कूड़ा जलाने से वनों में आग फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारी परस्पर समन्वय बनाते हुए ऐसा सिस्टम तैयार करें, जिससे वनाग्नि पर जल्द से जल्द काबू पाया जा सके। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि स्थानीय लोग भी वनों को बचाने के लिए हर संभव सहायता करें। वन संपदा राज्य की धरोहर है। इससे हर हाल में बचाना है।