उत्तराखंड परिवहन निगम ने पर्वतीय क्षेत्रों के लिए बसें तो मंगाई, लेकिन चल अभी नहीं पाईं

उत्तराखंड परिवहन निगम ने दो महीने पहले पर्वतीय मार्गों पर संचालन के लिए 20 रोडवेज बस मंगाईं थीं। इसके तहत 20 बस तैयार होकर आईएसबीटी और रोडवेज वर्कशॉप में पहुंच गईं। लेकिन आज तक इनका मार्ग तय नहीं हो पाया। नतीजतन ये आईएसबीटी व अन्य जगहों पर खड़ी धूल फांक रही हैं।अनुबंध के बाद संचालन शुरू न होने से यात्रियों के साथ-साथ परिवहन निगम को भी नुकसान हो रहा है। वहीं अनुबंध संचालकों को 500 रुपये प्रतिदिन जुर्माना देना पड़ेगा। उत्तराखंड परिवहन निगम ने दो महीने पहले पर्वतीय मार्गों पर संचालन के लिए 20 रोडवेज बस मंगाईं थीं। आज तक इनका मार्ग तय नहीं हो पाया। नतीजतन ये आईएसबीटी व अन्य जगहों पर खड़ी धूल फांक रही हैं।

20 बस तैयार होकर आईएसबीटी और रोडवेज वर्कशॉप में पहुंच गई
दरअसल, पर्वतीय मार्गों पर लगातार रोडवेज बस संचालन बढ़ाने की मांग उठ रही है। निगम ने पिछले दिनों 100 बस खरीद का टेंडर भी निकाला था जो अभी तक परवान नहीं चढ़ पाया। इस बीच निगम ने पर्वतीय मार्गों पर संचालन के लिए अनुबंध के आधार पर बस का टेंडर निकाला। इसके तहत 20 बस तैयार होकर आईएसबीटी और रोडवेज वर्कशॉप में पहुंच गईं।

पिछले करीब दो माह से ये बस यहां खड़ी संचालन का इंतजार कर रही हैं। सवाल उठ रहे हैं कि परिवहन निगम ने इन बसों को क्या खड़ी करने के लिए मंगाया था। 13 चमचमाती हुई नई बस आईएसबीटी व बाकी वर्कशॉप में खड़ी हैं।

निगम, अनुबंध वालों का भी नुकसान

अनुबंध के तहत तय समय पर बस उपलब्ध कराने के बाद भी संचालन शुरू न होने से अनुबंध संचालकों और रोजमर्रा सफर करने वाले यात्रियों को नुकसान हो रहा है। संचालन शुरू न होने से परिवहन निगम की कमाई भी शुरू नहीं हो पाई। संचालन होता तो निगम को रोजाना औसतन दो से तीन लाख की कमाई होती। अनुबंध संचालकों को 500 रुपये प्रतिदिन जुर्माना देना होगा, जबकि निगम की गलती से संचालन शुरू नहीं हो पाया।

हमने अनुबंधित बस मंगाई थीं। जितनी आ रही हैं, उस हिसाब से संचालन कराया जा रहा है। जल्द ही सभी अनुबंधित बसें पर्वतीय मार्गों पर चलती नजर आएंगी।

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