उत्तराखंड के मणीमाई मंदिर के समीप जंगल में 15 बंदरों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इन बंदरों के नाक और मुंह से खून निकल रहा था। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिए। शुरुआत में बंदरों को जहर देकर मारने की आशंका जताते हुए वन विभाग ने डोईवाला थाने में अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया।
वहीं, पुलिस अधिकारी ने कहा कि देहरादून पुलिस ने कथित तौर पर 15 बंदरों को जहर देकर मारने के आरोप में एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी है। वन विभाग की लच्छीवाला रेंज में मणिमाई मंदिर के पास 15 बंदरों के शव पाए गए। पुलिस के मुताबिक, अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे दो बंदरों को स्थानीय निवासियों ने बचा लिया।
डोईवाला पुलिस स्टेशन के प्रभारी देवेंद्र सिंह चौहान ने कहा, ‘हमने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 428 (दस रुपये मूल्य के जानवर को मारकर या विकलांग बनाकर उत्पात करना) के तहत हत्या का मामला दर्ज किया है।’ बंदरों को जहर देकर मार डाला और जांच शुरू कर दी। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। आईपीसी की धारा 428 के तहत किसी व्यक्ति को ₹10 मूल्य के पालतू जानवर को मारने या अपंग करने के लिए दो साल की जेल की सजा हो सकती है। यदि पालतू जानवर की कीमत ₹50 या अधिक है तो पांच साल की जेल की सजा हो सकती है।
शिकायत में लच्छीवाला रेंज के रेंजर जीएन उनियाल ने उल्लेख किया कि प्रथम दृष्टया साक्ष्य से पता चलता है कि किसी ने उन्हें जहर दिया और उनके शवों को उस स्थान पर फेंक दिया जहां से उन्हें बरामद किया गया था। बंदरों की नाक और मुंह से खून निकल रहा था और उनके पेट का हिस्सा नीला पड़ गया था. हालांकि, मौके से कोई जहरीला पदार्थ बरामद नहीं हुआ।’ देहरादून वन प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) नितीश मणि त्रिपाठी ने कहा, ‘चूंकि बंदर अब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित नहीं हैं। इसलिए हमने पुलिस में शिकायत दर्ज की। इसपर उन्होंने प्राथमिकी दर्ज की है। हमारे विभाग स्तर पर कोई जांच शुरू नहीं की गई है।