भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल ने 57 साल पहले रखी थी दून के इस स्कूल की नींव, आज बंदी की कगार पर

साल 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में अहम भूमिका निभाने वाले भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल जनरल सैम मानेकशॉ ने 57 साल पहले दून में जिस स्कूल की नींव रखी थी, अब वह बंदी की कगार पर है। दरअसल, यह विद्यालय सेना की भूमि पर बना है।अब सेना अपनी भूमि मांग रही है। ऐसे में शासन ने शिक्षा विभाग से स्कूल की विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी। विभाग ने भी रिपोर्ट तैयार कर शासन को सौंप दी है। देहरादून कैंट में मुख्यमंत्री आवास के समीप बना 58-जीटीसी जूनियर हाईस्कूल की नींव का पत्थर 11 अक्तूबर 1966 में तत्कालीन ले. ज. सैम मानेकशॉ ने किया था।

सेना की भूमि पर बना अशासकीय विद्यालय
स्कूल के शिक्षक बताते हैं कि शुरुआती दिनों में छात्रों की संख्या 1500 तक के करीब थी। बदलते समय के साथ स्कूल में छात्रों की संख्या घटती गई, जो अब सिर्फ 28 रह गई है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सहायता प्राप्त यह अशासकीय विद्यालय सेना की भूमि पर बना है।

ऐसे में अब सेना की ओर से अपनी भूमि को मांगा जा रहा है। इसके बाद शासन की ओर से विद्यालय में छात्रों की संख्या, भूमि, भवन निर्माण का वर्ष समेत अन्य सभी जानकारी का ब्योरा मांगा गया। ऐसे में आगामी शैक्षणिक सत्र 2024-25 में स्कूल बंद किया जा सकता है।

सैम मानेकशॉ का है उत्तराखंड से पुराना नाता

जनरल सैम मानेकशॉ का उत्तराखंड से पुराना नाता रहा है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड में नैनीताल जिले के शेरवुड कॉलेज में हुई थी। इतना ही नहीं दून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी के लिए चुने जाने वाले 40 कैडेटों के पहले बैच में भी सैम मानेकशॉ शामिल थे और उन्हें चार फरवरी 1934 को 12 एफएफ राइफल्स में कमीशन किया गया था। इसके अलावा 1971 की जंग में पाकिस्तान को हराने और नया मुल्क बांग्लादेश बनाने का पूरा श्रेय भी सैम मानेकशॉ को ही जाता है। उनके जीवन पर बन रही फिल्म सैम बहादुर इस साल एक दिसंबर को देश भर के सिनेमा घरों में रिलीज होगी।

शासन की ओर से विद्यालय की विस्तृत रिपार्ट मांगी गई थी। हमारी ओर से रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई है। रही बात स्कूल बंद होने की तो वह उच्चस्तरीय मामला है। फिलहाल चल रहे शैक्षणिक सत्र 2023-24 में स्कूल बंद नहीं किया जाएगा। अगले शैक्षणिक सत्र में स्कूल बंद होता है तो बच्चों के लिए व्यवस्था की जाएगी। 

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