मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट से उत्तराखंड की उम्मीदों को भी नए पंख लगते दिख रहे हैं। केंद्रीय बजट में किए गए प्रविधानों से राज्य की झोली में फौरी राहत आने के साथ ही दीर्घकालिक योजनाओं के लिए भी पर्याप्त राशि मिल सकेगी। जिसमें करों के हस्तांतरण से लेकर, केंद्र पोषित योजनाओं और दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण के रास्ते उत्तराखंड के लिए भी खुल जाएंगे। यह हमारे अधिकारियों की कार्यकुशलता और कार्य प्रबंधन पर है कि केंद्र सरकार के खजाने का कितना रुख हम अपनी तरफ मोड़ पाते हैं।
बजट में सबसे बड़ी राहत आपदा प्रबंधन
केंद्र सरकार के बजट में सबसे बड़ी राहत आपदा प्रबंधन के रूप में नजर आ रही है। केंद्रीय बजट में प्रदेश में आपदा के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए विशेष प्रविधान किया गया है। जोशीमठ में भूधंसाव के चलते प्रभावितों के पुनर्वास और आपदा प्रबंधन के अन्य कार्यों के लिए उत्तराखंड सरकार ने बजट में 1,000 करोड़ रुपये का प्रविधान किया था। अब केंद्रीय बजट में उत्तराखंड के लिए व्यवस्था कर दिए जाने के बाद इस राशि को जुटाने के लिए राज्य सरकार को खास मशक्कत नहीं करनी पड़ेगी।
रेल परियोजनाओं के लिए 5131 करोड़ रुपए का बजट
उत्तराखंड को रेल परियोजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 के लिए 5131 करोड़ रुपए का बजट मिला है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से यह जानकारी दी है।
उत्तराखंड को मिल सकेंगे 900 करोड़ रुपये से अधिक
करों के हस्तांतरण (डिवोल्यूशन आफ टैक्स) में 13 हजार 900 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इस राशि में से उत्तराखंड को 900 करोड़ रुपये से अधिक मिल सकेंगे। इसके अलावा राज्यों के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये के ब्याज मुक्त ऋण के दरवाजे खोले गए हैं। उत्तराखंड के मौजूदा प्रदर्शन के हिसाब से राज्य को कम से कम 1,750 करोड़ रुपये का ऋण आसानी से प्राप्त हो जाएगा।
केंद्र पोषित योजनाएं
दूसरी तरफ केंद्र पोषित योजनाओं की बात की जाए तो इस मोर्चे पर भी राज्य की झोली भरी नजर आएगी। राज्य में 17 से अधिक केंद्र पोषित योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें प्रदेश को 90:10, 80:20 के अनुपात में केंद्रीय अनुदान मिलता है। ऐसी योजनाओं में केंद्र के बजट में भारी भरकम प्रविधान होने के चलते राज्य के वित्तीय भार को सहारा मिल सकेगा।
केंद्र सरकार के बजट में जिन प्रविधानों से राज्य को सीधे लाभ मिलता दिख रहा है, उससे अधिक लाभ उन योजनाओं में मिल सकता है, जिन्हें विकास के पैमाने पर सभी के लिए खुला रखा गया है। क्योंकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की भारी-भरकम बजट वाली तमाम योजनाएं ऐसी हैं, जिन पर उत्तराखंड सरकार कुछ न कुछ कदम बढ़ा चुकी है। लिहाजा, हमारे अधिकारी यदि बेहतर प्रयास करते हैं तो राज्य के बजट में कम से कम तीन से चार हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी करा सकते हैं।
सचिव वित्त दिलीप जावलकर भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। उनका कहना है कि अगले पांच साल तक प्रदेश सरकार तमाम योजनाओं में केंद्रीय बजट के प्रविधानों के अनुरूप पर्याप्त धनराशि प्राप्त कर सकती है। इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी गई है और कई योजनाओं की दिशा में कदम बढ़ाए भी गए हैं।
इन योजनाओं में पूरे पांच साल नहीं होगी बजट की कमी
कृषि (जलवायु अनुकूल 32 कृषि और 109 बागवानी किस्मों की पैदावार संबंधी), प्रधानमंत्री आवास (शहरी एवं ग्रामीण), प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान, शहरों के इर्द-गिर्द औद्योगिक पार्कों की प्लग एंड प्ले योजना, शहरों के विकास की ब्राउन फील्ड योजना, बिजली बिल में कमी लाने की सूर्य घर योजना, शहरी और ग्रामीण भूमि सुधार योजना, पीएमजीएसवाइ में बारहमासी सड़कों का विकास आदि।